शिक्षक यानी की गुरु जिन्होंने हमें ज्ञान दिया, जीवन का दर्शन समझाया और हमे अपने जीवन को साकार बनाने में मदद किया। शिक्षक दिवस की अवसर पर आज हम आप को ऐसे शिक्षक और शिष्य की कहानी बताने जा रहे है जो बाप के साथ-साथ अपने बेटे के लिए एक अच्छा शिक्षक भी साबित हुए। उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के सुजानपुर गांव में जन्मे महेंद्र बहादुर सिंह इस समय बांदा में जिलाधिकारी का पद संभाल रहे हैं।जनसुनवाई और उसके निस्तारण में उनका काम इतना बेहतरीन रहा कि उन्हें उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सम्मानित किया। महेंद्र की इस सक्सेस के पीछे उनके पिता की मेहनत है। वो उन्हें ही अपनी लाइफ का टीचर मानते हैं।
2011 बैच के आईएएस अफसर महेंद्र बताते हैं, “हमारा गांव फतेहपुर जिले के अंदर पड़ता है। मेरे पिता राम सिंह चकबंदी विभाग में क्लर्क थे। मैं चार भाइयों में सबसे छोटा था, इसलिए परिवार में सबसे प्यारा भी था। महेंद्र ने बताया कि जब वह चौथी क्लास में थे, तब एक दिन गांव के टीचर ने पिताजी को स्कूल बुलवाया। पिताजी को लगा कि मैंने कोई शरारत की है, जिसकी वजह से उन्हें बुलाया गया है। जब वे स्कूल पहुंचे तो टीचर ने कहा- आपका बेटा पढ़ने में कुछ ज्यादा ही तेज है। आप इसका एडमिशन शहर के किसी स्कूल में करवाइए। इसका करियर बन जाएगा। महेंद्र के पिता को यह बात इतनी अच्छी लगी कि वे फतेहपुर शिफ्ट होने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने मिड टर्म में ही बेटे का एडमिशन फतेहपुर के एक प्राइवेट स्कूल में करवाया।
आईएएस महेंद्र सिंह बताते हैं, कि मेरा एडमिशन तो हो गया, लेकिन दो महीने बाद हुए एग्जाम में मेरा रिजल्ट बेहद खराब रहा। मैं 6 में से 5 विषय में फेल हो गया। मैं घर आकर बहुत रोया तब पापा ने मुझे समझाया कि तुम मेहनत करो, सब अच्छा होगा। महेंद्र ने पिता की बात का मान रखा और उसी साल फाइनल एग्जाम में क्लास में सेकंड पोजिशन हासिल की। उसके बाद हर एग्जाम में वे टॉपर बनने लगे।
महेंद्र ने 12वीं के बाद आईआईटी एंट्रेंस एग्जाम दिया था, लेकिन वे उसमें फेल हुए। उनका सिलेक्शन यूपीटीयू में हुआ था, जहां से उन्होंने बीटेक की डिग्री हासिल की। महेंद्र की इंजीनियरिंग की पढ़ाई खत्म होते ही सिविल सर्विसेज की तैयारी में लग गया था। इस दौरान महेंद्र को कई कंपनियों में जॉब भी लगी, लेकिन महेंद्र का पुरा फोकस IAS बनना था। महेंद्र दिन रात मेहत की और 2011 में यूपीएससी एग्जाम दिया और चौथे अटैम्प्ट में आईएएस की परीक्षा पास कर लिया ।
आईएएस महेंद्र बहादुर सिंह अपने पिता को लाइफ का सबसे बड़ा टीचर मानते हैं। उन्होंने बताया, “शहर में एडमिशन के बाद हम लोग गांव नहीं जा पाते थे। शहर से हमारा गांव बहुत दूर था। पिताजी मेरे साथ किराए का कमरा लेकर रहने लगे। महेंद्र ने बताया कि पिताजी सुबह ड्यूटी पर जाने से पहले मेरा खाना बना लेते थे। वो ही मुझे तैयार करके स्कूल भेजते थे। मां तीन भाइयों के साथ गांव में थीं। यही नहीं, जूनियर क्लासेस तक तो वो मेरे नोट्स भी तैयार करवाते थे। मेरे पिताजी लगातार मेरे लिए मेहनत करते रहे। वो खाना बनाने से लेकर कपड़े धोने और साफ-सफाई का काम तक खुद ही करते थे। मुझे पढ़ाई में डिस्टर्ब न हो, इसके लिए उन्होंने कभी मुझसे काम में हाथ बंटाने के लिए नहीं कहा। आईएसएस महेंद्र बहादुर सिंह का पत्नी का नाम अल्पना है।इनकी दो बेटी आशिमा और ट्विंकल है।