इंटरनेशनल वॉचडॉग ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी (GFI) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत से साल 2014 में 21 बिलियन डॉलर (करीब 21 करोड़ डॉलर यानी 1.34 लाख करोड़) की ब्लैक मनी देश से बाहर भेजी गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वर्षो की तुलना में यह ब्लैकमनी 19 प्रतिशत अधिक है। ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी ने सोमवार को रिपोर्ट जारी करके इस बात खुलासा किया। जीएफआई ने पहली बार अपनी रिपोर्ट में ब्लैकमनी (अवैध फंड्स) आवक (आने) की भी जानकारी दी। साल 2014 में भारत में 101 बिलियन डॉलर (6 लाख करोड़ से अधिक) का अवैध फंड आया जो कि पहले की सालों की तुलना में करीब 11 प्रतिशत ज्यादा थी।
रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल स्तर पर विकासशील देशों से 620 बिलियन डॉलर से लेकर 970 बिलियन डॉलर तक की राशि ट्रेड फ्रॉड (व्यापारिक धोखाधड़ी) के जरिए बाहर गई है। वहीं, ब्लैक मनी की अवैध आवक 104 ट्रिलियन डॉलर से लेकर 2.5 ट्रिलियन डॉलर के बीच है। साल 2005 से 2014 के बीच कालेधन की आवक और जावक विकासशील देशों के कुल व्यापार का 14 से 24 प्रतिशत है। इस साल ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी ने इंटरनैशनल ट्रेड एंड पेमेंट्स के आंकड़े जुटाने और उनका विश्लेषण करने के लिए पिछले साल के मुकाबले कड़े मानकों का पालन किया है। जीएफआई ने डॉयरेक्शन ऑफ ट्रेड पर आईएमएफ ग्लोबल डेटा के अलावा कई अन्य सूत्रों से जानकारी लेकर रिपोर्ट में सम्मिलित किया गया है।
गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्लैक मनी और फेक करेंसी पर लगाम लाने के लिए ऐतिहासिक फैसला लेते हुए 500 और 1000 रुपए के नोटों को बंद करने का ऐलान किया था। जिसके बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की टीमों ने सभी राज्यों में छापेमारी की कार्रवाई की और ब्लैक मनी के रूप में जमा की गई करोड़ों रुपये की पुरानी करेंसी जब्त की गई। नोटबंदी के करीब 6 महीने बाद भी देश के अलग-अलग हिस्सों से पुरानी करेंसी बरामद की जा रही है। साथ ही इनकम टैक्स विभाग उन खातों पर भी नजर बनाए हुए था, जिनमें ज्यादा ट्रांजैक्शन किया गया। बाद में विभाग इन्हें नोटिस जारी करेगा।