सातवें वेतन आयोग की सिफरिश मंजूर, ग्रेच्युटी सीमा 20 लाख तक करने के प्रस्ताव पर बनी सहमति

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ग्रेच्युटी

संगठित क्षेत्र के कर्मचारी जल्दी ही 20 लाख रुपये तक के कर मुक्त ग्रेच्युटी के लिये पात्र होंगे। केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने श्रम मंत्रालय के साथ त्रिपक्षीय विचार-विमर्श में प्रस्ताव पर सहमति जतायी है। यूनियनों ने ग्रेच्युटी के भुगतान के लिये प्रतिष्ठान में कम-से-कम 10 कर्मचारियों के होने तथा न्यूनतम पांच साल की सेवा की शर्तों को हटाने की मांग की है।

केंद्रीय ट्रेड यूनियन ग्रेच्युटी भुगतान कानून में प्रस्तावित संशोधन पर त्रिपक्षीय बैठक में अंतरिम उपाय के रूप में ग्रेच्युटी भुगतान की सीमा दोगुनी करने पर सहमत हो गये हैं। बैठक में सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के अनुरूप अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये करने के लिये संशोधन का प्रस्ताव किया गया। सातवें वेतन आयोग की सिफारिश को सरकार ने स्वीकार कर लिया है। नियोक्ताओं के साथ राज्य प्रतिनिधियों ने भी ग्रेच्युटी की राशि बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने पर सहमति जतायी।

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ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) ने एक बयान में कहा, ‘‘अंतरिम उपाय के रूप में अधिकतम भुगतान सीमा 20 लाख रुपये करने को स्वीकार करते हुए यूनियनों ने कर्मचारियों की संख्या और सेवा वर्ष के संदर्भ में सीमा हटाये जाने की मांग की है।’’ श्रमिक संगठन ने कहा, ‘‘केंद्रीय ट्रेड यूनियन सरकार से यह अनुरोध करते रहे हैं कि ग्रेच्युटी की राशि की सीमा हटायी जानी चाहिए।’’ फिलहाल ग्रेच्युटी भुगतान कानून के तहत एक कर्मचारी ग्रेच्युटी के लिये उस समय पात्र होता है जब उसने न्यूनतम पांच साल की सेवा पूरी कर ली हो। साथ ही यह कानून ऐसे प्रतिष्ठानों में लागू होता है जहां कर्मचारियों की संख्या कम से कम 10 हो।

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बयान के अनुसार अधिकतम राशि के संदर्भ में संशोधित प्रावधान एक जनवरी 2016 से प्रभाव में आने चाहिए जैसा कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के मामले में हुआ है। यूनियनों ने यह भी मांग की कि सेवा के प्रत्येक साल के लिये ग्रेच्युटी भुगतान को 15 दिन के वेतन से बढ़ाकर 30 दिन के वेतन के बराबर किया जाना चाहिए। श्रमिक संगठनों ने कहा कि सरकार ने 15 फरवरी 2017 के पत्र के साथ ग्रेच्युटी कानून के भुगतान में संशोधन का जो प्रस्ताव दिया था, वह केवल कानून की धारा 4 (3) के तहत सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने से संबंधित था।

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एनडीटीवी के सौजन्य से खबर