वस्तु एवं सेवाकर यानी GST को 1 जुलाई से लागू करने की ओर मोदी सरकार ने एक और कदम बढ़ा दिया है। लेकिन GST के लागू होने से पहले अभी GST काउंसिल को यह तय करना है कि किस वस्तु पर कितना टैक्स लगेगा। जीएसटी काउंसिल ने वस्तुओं पर टैक्स की चार श्रेणियां बनाई हैं। जिनमे वस्तुओं पर 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत का टैक्स लगेगा।
बिस्कुट विनिर्माताओं ने GST परिषद से मांग की है कि प्रस्तावित GST प्रणाली में बिस्कुट उद्योग को कर के सबसे सबसे निचले स्लैब में रखा जाना चाहिए।
फेडरेशन ऑफ बिस्कुट मैन्यूफैक्चरर्स ऑफ इंडिया (FBMI) ने जीएसटी परिषद से आग्रह किया है कि व्यापक खपत को ध्यान में रखते हुए बिस्कुट को GST के सबसे निम्न स्लैब में रखा जाना चाहिए। एफबीआईएम के अनुसार सभी बिस्कुटों को GST के न्यूनतम कराधान स्लैब में रखना सरकार की अन्य अच्छी नीतिगत पहलों के अनुरूप ही होगा। इससे इस क्षेत्र के विस्तार व फलने फूलने में मदद मिलेगी।
आपको बता दें कि भारत में तकरीबन 37,500 करोड़ की बिस्किट इंडस्ट्री का कहना है कि बिस्किट को ऐसे टैक्स स्लैब में न रखा जाये जिससे बिस्किट के रेट बढे। इंडस्ट्री ने GST काउंसिल से आग्रह किया है कि बिस्किट ड्रेस के 85 प्रतिशत घरों में इस्तमाल होते हैं इसलिए अगर बिस्किट की कीमत बढ़ती है तो इससे लोगों के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
गौरतलब है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने GST पर राज्यसभा में विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि GST में कृषि क्षेत्र टैक्स दायरे से बाहर रहेगा। उन्होंने साफ किया कि राज्य सरकारों के पास टैक्स लगाने का अधिकार है लेकिन जिन कारणों से अभी कृषि को टैक्स दायरे से बाहर रखा गया है, उन्हीं कारणों से आगे भी ये क्षेत्र टैक्स से बाहर ही रहेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि एक दिन पेट्रोलियम प्रोडक्ट भी GST के दायरे में आ जाएंगे।