8 नवंबर 2016 को मोदी सरकार ने रातों रात 500 और 1000 के पुराने नोटों पर रोक लगा दी थी। तब नोटबंदी के सर्मथन में सरकार ने दलील दी थी कि इससे जाली नोटों के गोरखधंधो पर लगाम लगेगी। लेकिन नोटबंदी के चार महीने के भीतर ही करीब 66 लाख मूल्य के 2000 रू के जाली नोट RBI ने अपनी एजेंसीयों के माध्यम से पकड़े।
इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि और वित्त व गृह मंत्रालय के शीर्ष अफसरों ने चर्चा की। फिर सरकार ने 500 और 2000 रुपये के बैंक नोटों के सुरक्षा फीचर में हर तीन से चार साल में बदलाव करने का फैसला लिया गया, ताकि जाली नोटों की समस्या पर लगाम लगायी जा सके।
इस कदम का समर्थन करते हुए गृह मंत्रालय के अफसरों ने कहा कि ज्यादातर विकसित देश अपने मुद्रा नोटों में सुरक्षा फीचर हर तीन से चार साल में बदल देते हैं। ऐसे में भारत के लिए इस नीति का पालन करना अनिवार्य है।यह चिंता की बात है कि नये मुद्रा नोटों में भी अतिरिक्त सुरक्षा फीचर नहीं हैं।
17 में से 11 फीचर की नकल : हाल ही में जब्त हुए 2000 के नकली नोटों की जांच में पाया गया है कि इसके 17 सुरक्षा फीचर में से 11 की नकल हुई है। जो फीचर्स कॉपी किये गये हैं उनमें ट्रांसपेरेंट एरिया, अशोक स्तंभ, फॉन्ट, वॉटर मार्क और आरबीआइ गवर्नर के दस्तखत के साथ लिखा गया गारंटी क्लॉज भी है। 2000 के नकली नोट में चंद्रयान, स्वच्छ भारत का लोगो और प्रिंटिंग इयर को भी बिल्कुल असली जैसा ही छापा गया है। सूत्रों के अनुसार नकली नोट बांग्लादेश के जरिये पाकिस्तान से आ रहे है।
आपको बता दें भारत में 1000 रु. के नोटों की शुरूआत साल 2000 में हुई थी। नोटबंदी में इसका चलन बंद करने तक इसके फीचर्स में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ था। 500 के नोट 1987 में लांच हुए थे और इनके फीचर्स में परिवर्तन 2005 में किया गया था।