महाराष्ट्र दवा नियामक के अनुसार एल्केम लैब्स की क्लेवेम बिड सीरप की गुणवत्ता घटिया थी। उसमें जरुरत से ज्यादा क्लावुलानिक एसिड था। इस दवा की सालाना 257.32 करोड़ की सेल है। गुजरात दवा नियामक की ओर से कराए गए टेस्ट में सामने आया कि जीएसके की फेक्सिन में बताई गई मात्रा से कम सिफालेक्सिन था। गुजरात में ही कैडिला हैल्थकेयर की हाई ब्लड प्रेशर की दवा एम्लोमेड को अप्रैल के महीने में दो बार घटिया बताया गया।
नियामक के अनुसार इसमें लेबल पर दिखाई मात्रा का केवल 53.4 प्रतिशत ही एम्लोडिपीन साल्ट था। कर्नाटक और महाराष्ट्र में जाइडस हैल्थकेयर की डेरीसोन और माइफजेस्ट किट की गुणवत्ता में कमी निकली। इसी तरह से कैडिला फार्मा की दवा पॉलीकेप को लेकर कर्नाटक में शिकायत हुई। सिप्ला की चार दवाएं फिक्सोबेक्ट, सिप्लोरिक, ओमेसिप डी और डिलवास को लेकर बंगाल, आंध्र प्रदेश, गुजरात और केरल में कमी निकली। एम्क्यॉर फार्मा की दवा रिफाम्पिन की गुणवत्ता पर गुजरात के दवा नियामक ने सवाल उठाए। हेटेरो लैब्स की रेबलेट और प्लावास पर बंगाल व महाराष्ट्र, सन फार्मा की फेरिना को लेकर कर्नाटक और वॉकहार्ड की एनप्रिल पर महाराष्ट्र में सवाल उठा है।































































