नयी दिल्ली। यूपीए सरकार के कार्यकाल में हुआ 20.8 करोड़ डॉलर का एंबरियर जेट समझौता अमेरिकी अधिकारियों की जांच के घेरे में है। अधिकारियों को संदेह है कि अनुबंध हासिल करने के लिए कंपनी की ओर से घूस दी गई थी।
भाषा की खबर के मुताबिक यह समझौता साल 2008 में एईडब्ल्यू ऐंड सी :विमानों के लिए आरंभिक चेतावनी तथा नियंत्रण प्रणाली: के लिए स्वेदशी रडार से लैस तीन विमानों के लिए ब्राजील के विमान निर्माता एंबरियर और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन :डीआरडीओ: के बीच हुआ था।
अमेरिका का न्याय विभाग साल 2010 से इस कंपनी की जांच कर रहा है। तब डोमिनिकन गणराज्य के साथ कंपनी के अनुबंध ने अमेरिका के संदेह को बढ़ा दिया था।
ब्राजील के अखबार फोल्हा दे साओ पाउलो के मुताबिक, ‘‘अमेरिकी सरकार ने इस बारे में जांच शुरू की है कि एंबरियर ने विदेशों से अनुबंध हासिल करने के लिए रिश्वत दी थी या नहीं। इस जांच के कारण ब्राजील की इस कंपनी ने सउदी अरब और भारत के साथ जो समझौते किए हैं, वह प्रभावित हुए हैं।’’ संदेह है कि ब्रिटेन में रहने वाले एक प्रमुख भारतीय बिचौलिए ने इस समझौते में अहम भूमिका निभाई है।
भारत के रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि अमेरिकी अधिकारियों ने डीआरडीओ को अभी तक जांच के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। एईडब्ल्यू ऐंड एस कार्यक्रम को संभाल चुके डीआरडीओ के प्रमुख एस क्रिस्टोफर ने इस मसले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
उसके बाद जांच का और विस्तार कर दिया गया तथा आठ और देशों के साथ कंपनी के व्यावसायिक लेने-देने की जांच की जा रही है।