नोटबंदी का असर आप बैंको और एटीएम के बाहर देख ही सकते हैं, लोग लंबी-लंबी लाइनों में खड़े होकर अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। घंटों की मशक्कत के बाद वो 4000 रुपये बमुश्किल हासिल कर पा रहे हैं। लेकिन सरकार के इस फैसले से सबसे ज्यादा नुकसान किसान वर्ग का हुआ है।
नोटों की किल्लत के चलते ग्राहक बाजार से गायब हैं। पिछले एक हफ्ते में महज एक चौथाई ग्राहक बाजार पहुंचे हैं। ग्राहकों की कमी के चलते सब्जियां मंडियों में सड़ रही हैं। आलू प्याज़ और लहसुन की स्थिति तो फिर भी सही है। लेकिन हरी सब्जियों ने तो किसानों को बर्बाद कर दिया है।
ऐसे में किसान अगर सब्जियां नहीं काटते हैं तो इससे भी उनका नुकसान ज्यादा होगा। खेत में जो सब्जियां हैं अगर वक्त पर उन्हें नहीं काटा या तोड़ा गया तो इससे वो पेड़ों पर ही खराब हो जाएंगी और दूसरा नुकसान ये है कि किसानों के खेत वक्त पर खाली नहीं हुए..तो अगले सीज़न की फसल लेट हो जाएगी। यानी हर तरफ से किसान को मार झेलनी पड़ रही है।
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