देश की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग कंपनी लारसन ऐंड टूब्रो ने हाल ही में बड़ी छंटनी में अपने यहां काम करने वाले 14,000 कर्मचारी को निकाल दिया है। L&T ग्रुप का कहना है कि ये कदम बिजनेस में आई मंडी के चलते उठाया गया है। उनका कहना है कि बिजनस में आई मंदी के चलते अपने वर्कफोर्स को ‘सही लेवल’ पर लाने की कोशिश के तहत उठाया है। कंपनी का कहना है कि ग्रुप में डिजिटाइजेशन के चलते बड़ी संख्या में एंप्लॉयीज के लिए कोई काम नहीं बचा था, जिसके चलते यह छंटनी की गई। यह आंकड़ा कंपनी के कुल वर्कफोर्स के 11.2% के बराबर है।
एलऐंडटी के चीफ फाइनैंशल ऑफिसर (सीएफओ) आर शंकर रमन ने कहा, ‘कंपनी ने अपने कई बिजनस में स्टाफ की संख्या सही स्तर पर लाने के लिए बहुत से कदम उठाए हैं। हमने डिजिटाइजेशन और प्रॉडक्टिविटी बढ़ाने के मकसद से जो उपाय किए थे, उसके चलते कई नौकरियों की जरूरत नहीं रह गई। इसके चलते सितंबर को खत्म छमाही में ग्रुप ने 14000 एंप्लॉयीज की छंटनी कर दी।’
एलऐंडटी मैनेजमेंट का अनुमान है कि आने वाले महीनों में इकनॉमिक एनवायरन्मेंट चुनौतीपूर्ण रह सकता है। हालांकि सरकारी ऑर्डर्स में तेजी आने से प्राइवेट सेक्टर की सुस्ती की भरपाई हो जाएगी। रमन ने कहा कि छंटनी एक तरह का भूल सुधार अभियान है और इसको आगे भी होने वाली घटना के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।
ग्राहकों की तरफ से मिल रहे ऑर्डर टाल दिये जाने, ऑयल के दामों में आ रही गिरावट और खाड़ी देशों में बहुत ज्यादा आर्थिक सुस्ती आ जाने से कंपनी को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।