अमेरिका की संरक्षणवाद की नीति से पार पाने के लिए आईटी कंपनी इन्फोसिस ने कमर कस ली है। इन्फोसिस अमेरिका में चार टेक्नोलॉजी और इन्वोशन हब बनाने की तैयारी कर रही रहै है। साथ ही, कंपनी अगले दो साल में करीब 10 हजार अमेरिकन को जॉब देगी। आपको बता दें कि अमेरिका में H-1B वीजा नियमों पर सख्ती के बाद पैदा हुई परेशानी से निपटने के लिए कंपनी यह कदम उठा रही है। कंपनी भर्तियों और नए सेंटर्स के जरिए आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, यूजर एक्सपीरियंस, क्लाउड और बिग डेटा जैसे नए टेक्नोलॉजी सेक्टर में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाएगी।
वित्त वर्ष 2016-17 में इन्फोसिस के कुल 10.2 बिलियन डॉलर के राजस्व का 60 प्रतिशत हिस्सा नॉर्थ अमेरिकन मार्केट से ही आया। हालांकि, सिक्का का कहना है कि ये कदम सिर्फ वीजा नियमों में कड़ाई से निपटने के लिए नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों से आर्टिफिशल इंटलिजेंस और वर्चुअल रिऐलिटी जैसी नई टेक्नॉलजीज का इस्तेमाल बढ़ रहा है और पारंपरिक प्रॉजेक्ट्स भी पूरी तरह स्वचालित हो रहे हैं।
कंपनी केे सीईओ विशाल सिक्का का कहना है। अमेरिका में अपने ग्राहकों के लिए डिजिटल भविष्य को साकार करने के लिए कंपनी अगले दो सालों में तकनीकी रुप से दक्ष 10 हजार अमरिकियों को नौकरी देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हांलाकि अमेरिका में इंफोसिस फाउंडेशन के जरिए 2015 से लेकर अब तक 1.34 लाख छात्र, ढ़ाई हजार से ज्यादा शिक्षक और ढ़ाई हजार से ज्यादा स्कूल में प्रशिक्षण दिया जा चुका है। फाउंडेशन कोड डॉट ओआरजी और सीएसटीए जैसी संस्थानों के साथ भागीदारी कर प्रशिक्षण की सुविधा मुहैया करा रहा है।
इस साल अगस्त में इंडियाना में खुलनेवाला पहला हब साल 2021 तक 2,000 अमेरिकियों को जॉब देगा। तीन अन्य केंद्रों के लिए जगहें कुछ महीनों में तय हो जाएंगी। ये केंद्र लोगों को न केवल टेक्नॉलजी और इनोवेशन की ट्रेनिंग देंगे, बल्कि फाइनैंशल सर्विसेज, मैन्युफैक्चरिंग, हेल्थकेयर, रिटेल और एनर्जी जैसी प्रमुख इंडस्ट्रीज के क्लायंट्स के साथ काम काम भी करेंगे।