नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी लगातार बढ़ रही है। गुरुवार(24 नवंबर) को कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 68.86 के निचले रिकॉर्ड स्तर तक टूट गया था। रुपए में यह कमजोरी लगातार पांचवे दिन भी जारी है।
हालांकि अपने दिन के निचले स्तर से रुपये ने थोड़ी मजबूती जरूर दिखाई और अंत में डॉलर के मुकाबले रुपया 17 पैसे टूटकर 68.73 के स्तर पर बंद हुआ जो अगस्त 2013 के बाद रुपये का सबसे निचला स्तर है। रुपये का यह स्तर 28 अगस्त 2013 के बाद से अबतक का सबसे निचला स्तर है।
मुद्रा कारोबारियों के अनुसार निर्यातकों की ओर से माह के अंत में डॉलर की मजबूत मांग, विदेशी फंडों की लगातार निकासी और अमेरिका के केंद्रीय बैंक की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना से रुपये को नुकसान पहुंचा है।
डॉलर के मुकाबले रुपए के कमजोर होने से आयात महंगा होगा। यानी कच्चा तेल, मशीनरी जैसी तमाम चीजें जो हम भारत में औद्योगिक विकास के लिए मंगाते हैं वो महंगी हो जाएंगी, क्योंकि आयात शुल्क बढ़ जाएगा। दवाओं के कच्चे माल की कीमत बढ़ जाएगी। दाल जैसी आयात होने वाली खाने-पीने की चीजें महंगी हो जाएंगी।
जानकारों का कहना है कि नोटबंदी के बाद बहुत से ऐसे लोग हैं जो जमा नकदी से विदेशी मुद्रा खरीद रहे हैं, जिसकी इजाजत दी गई है। इस मांग की वजह से भी डॉलर और यूरो के मुकाबले रुपया कमजोर हुआ है।