इतना ही नहीं वैरिफिकेशन से कैसे बचना है, कैसे बैंक की आंखों में धूल झोंकनी है, कैसे खुद को टैक्स के फंदे से बचाना है और कैसे बचत खाते का गलत इस्तेमाल कर उसे कंपनी अकाउंट की तरह इस्तेमाल करना है। ये तमाम गुर भी इन कंपनियों के अधिकारियों ने हमारी टीम को बेझिझक बता दिए। इनका तो सिर्फ एक ही मकसद था कि कैसे ज्यादा से ज्यादा मशीनें बेचें और कैसे अपना मुनाफा कमाएं। भले ही इस कोशिश में अपराधिक प्रवृति के लोगों को फायदा पहुंचे और भले ही सरकार को मोटा चूना लग जाए। इसकी इऩ्हें कोई परवाह नहीं। ये तो बस अपना फायदा कमाना चाहते हैं।
सैक्स रैकेट चलाने वाले किस तरह स्वाइप मशीन के जरिए पेमेंट ले सकते हैं और उसे अपने बचत खाते में जमा करा सकते हैं। हवाला का कारोबार करने वाले तीस लाख तक की कमाई को कैसे बिना टैक्स दिए हजम कर सकते हैं, रिश्वत खोरी करने वाले कैसे 10 रूपये से लेकर हजारों रूपये तक की रिश्वत इन मशीनों के जरिए ले सकते हैं। ये तमाम हथकंडे स्वाइप मशीन बेचने वाली कंपनियों के अधिकारियों ने बताए।
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