जम्मू-कश्मीर के दौरे पर पहुंचे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इनकार करने वाले कदम के बाद अब राज्य के अलगाववादियों पर इसकी गाज गिर सकती है। केंद्र सरकार ने इस घटना के बाद अपना रुख कड़ा कर लिया है और वह अलगाववादियों को मिलने वाली सुविधाएं कम करने पर विचार कर रही है।
गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि अलगाववादी नेताओं की विदेशी यात्राओं, सुरक्षा और मेडिकल जांच सहित और कई सुविधाओं में कटौती करने का विचार किया जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि सरकार उन लोगों से सख्ती से निपटना चाहती है जो माहौल खराब करने का काम कर रहे हैं और समस्याएं पैदा कर रहे हैं।
इससे पहले गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इनकार करने के मुद्दे पर अलगाववादियों को जमकर आड़े हाथ लिया था। तब उन्होंने अलगाववादियों के इस अड़ियल रुख पर कहा कि यह न तो जम्हूरियत है, न कश्मीरियत है और न ही इंसानियत है। राजनाथ ने कहा था कि कश्मीर में शांति चाहने वालों से बातचीत के लिए दरवाजे ही नहीं, बल्कि रोशनदान भी खुले हैं।
दरअसल, रविवार को जब सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल कश्मीर पहुंचा था तब इसमें शामिल विपक्षी पार्टियों के चार सांसद अलगाववादी नेताओं से मिलने पहुंचे थे। हालांकि, अलगाववादियों ने उन्हें बैरंग लौटा दिया था। हुर्रियत के कट्टरपंथी धड़े के नेता सैयद अली शाह गिलानी ने तो प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के लिए दरवाजे तक नहीं खोले थे।
































































