कश्मीर : पत्थरबाजों को अब आज़ादी के साथ पुलिस में नौकरी भी चाहिए

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पत्थरबाजों
फोटो साभार

घाटी में सेना और पुलिस पर पर पत्थर फ़ेंकने वाले पत्थरबाजों को पुलिस में नौकरी करने से गुरेज नहीं हैं। नवभारत टाइम्स की खबर के मुताबिक घाटी मे कई पत्थरबाज ऐसे हैं जिन्हे पुलिस की नौकरी से नफ़रत है, बावजूद इसके वो पुलिस की नौकरी करना चाहते हैं। पुलिस पर पत्थर फ़ेंकने देने वाले, उन पर नस्लभेदी टिप्पणी करने वाले और उनकी तरफ़ मुंह करके पेशाब करने वाले पत्थरबाजों में से एक जेडी  नाम का युवा, एक अदद नौकरी के लिए तरस रहा है। साल 2008 में JD जब महज 15 साल का था, तब उसने पहले-पहले सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी की थी। उस बात को अब 8 साल बीत चुके हैं और JD को भी अब हालात बदले हुए लगते हैं। वह कहता है, ‘मेरे पिता बीमार हैं। मेरी मां बूढ़ी हैं और मेरी एक बहन भी है। मेरे पिता भारतीय सेना को अखरोट की लकड़ी से बने फर्निचर बेचा करते थे। उनका बिजनस बिल्कुल बंद हो गया है।’
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JD आगे बताता है, ‘घर में पैसा नहीं है। अब नौकरी खोजना और परिवार की देखभाल करना मेरी जिम्मेदारी है। मुझे काम करना होगा। मैंने जिंदगी भर पुलिसवालों से नफरत की, लेकिन अब अगर मुझे पुलिस की भी नौकरी मिलती है तो मुझे वह करनी होगी। मैं 12वीं फेल हूं। इस शैक्षणिक योग्यता के साथ मुझे विशेष पुलिस अधिकारी की ही नौकरी मिल सकती है। उसमें मुझे हर महीने 6,000 रुपये मिलेंगे।’ हमने वानी के बाद हिजबुल के कमांडर बने जाकिर राशिद की उस अपील के बारे में JD से पूछा जिसमें जाकिर ने कश्मीरी युवाओं से पुलिस में भर्ती ना होने की अपील की है। इसपर JD का जवाब था, ‘वह ऐसी बातें बोल सकता है। वह एक अमीर आदमी का बेटा है। मेरा पिता बढ़ई हैं।’
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