नई दिल्ली। हमारे देश में वैसे तो दलितों के मुद्दे पर आजादी के समय से ही राजनीति होती आ रही है लेकिन उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है जहां सबसे ज्यादा राजनीति होती है। और दलितों पर अत्याचार के मामले भी यूपी से ही सबसे ज्यादा सामने आते हैं।
जी हां, अनुसूचित जाति समुदाय के सदस्यों से अपराध के सबसे अधिक 8,358 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए हैं। ये मामले 2015 में दर्ज किए गए।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक, ये मामले 2014 के मुकाबले 3.50 प्रतिशत अधिक हैं। वर्ष 2014 में दलितों के साथ अपराध के 8,075 मामले दर्ज किए गए थे।
हालांकि, राष्ट्रीय स्तर पर इन आंकड़ों में 4.51 प्रतिशत की गिरावट आई है। जहां 2014 में 47,064 मामले थे, वहीं 2015 में ये मामले घटकर 45,003 रह गए।
उत्तर प्रदेश के अलावा, राजस्थान में अनुसूचित जाति के लोगों के साथ अपराध के 6,998, बिहार में 6,438 और आंध्र प्रदेश में 4,415 मामले दर्ज किए गए।
वहीं दूसरी ओर, पांच पूर्वोत्तर राज्यों में- मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में इस तरह का एक भी मामला सामने नहीं आया।
इसी तरह, 2015 में अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, दादरा एवं नागर हवेली और लक्षद्वीप में अनुसूचित जाति के लोगों के साथ अपराध का कोई मामला नहीं रहा।