कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा सिंह से बात करने के बाद बेंगलुरू में जारी आधिकारिक बयान में स्थिति को ‘पूरी तरह से नियंत्रण में’ बताया गया।
इसमें कहा गया कि केन्द्रीय गृह मंत्री ने अतिरिक्त केन्द्रीय बल के आग्रह पर ‘‘सकारात्मक रूप से’’ जवाब दिया।
कर्नाटक में हिंसा को चिंताजनक बताते हुए तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने सिद्धारमैया को पत्र लिखकर तमिल भाषी लोगों तथा उनकी संपत्तियों की सुरक्षा के लिए कहा। इससे पहले सिद्धारमैया ने जयललिता से इसी तरह का अनुरोध किया था।
जयललिता ने सिद्धारमैया को आश्वासन दिया कि तमिलनाडु में कर्नाटक के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि सरकार को प्रदर्शन के इस हद तक जाने की उम्मीद नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद थी कि अगर फैसला हमारे खिलाफ जाता है तो थोड़ा प्रदर्शन होगा लेकिन इस हद तक जाने की उम्मीद नहीं थी।’’ उन्होंने कहा कि 200 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
उन्होंने कहा कि बलों को संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात किया जा रहा है, विशेषकर जहां तमिलनाडु के लोग और प्रतिष्ठान हैं।
तमिलनाडु में अपने राज्य के वाहनों तथा कन्नड़ लोगों की संपत्ति पर कथित हमलों तथा शीर्ष अदालत के संशोधित आदेश पर गुस्सा निकालते हुए कर्नाटक के बेंगलुरू, मांड्या, मैसूरू, चित्रदुर्गा और धारवाड़ जिलों में भी कन्नड़ कार्यकर्ताओं ने पड़ोसी राज्य के पंजीयन वाले ट्रकों पर पथराव किया या उन्हें आग के हवाले कर दिया। शीर्ष अदालत ने इससे पहले पांच सितंबर के अपने आदेश में तमिलनाडु के किसानों की दयनीय हालत के मद्देनजर कर्नाटक को निर्देश दिया था कि अपने पड़ोसी राज्य के लिए अगले दस दिन तक 15,000 क्यूसेक पानी छोड़े। लेकिन इसका कन्नड़ समर्थक संगठनों और किसानों ने कड़ा विरोध किया था। इसी मुद्दे पर नौ सितंबर को कर्नाटक बंद का आयोजन किया गया था।
दिल्ली में कावेरी निगरानी समिति ने भी बैठक की लेकिन वे उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुरूप तमिलनाडु और अन्य राज्यों को छोड़े जाने वाली पानी की मात्रा पर फैसला करने में नाकाम रहे और 19 सितंबर को फिर से मिलने का फैसला किया।
तोड़फोड़ और आगजनी की खबरों के बीच, कार्यालय वाले लोग वापस अपने घर लौट आए और कई कंपनियों ने ऐहतियाती कदम उठाते हुए काम बंद कर दिया तथा स्कूलांे और कालेजों ने छुट्टी घोषित कर दी गयी। मेट्रो ने भी अस्थायी रूप से सेवाएं निलंबित रहीं।
सिद्धरमैया ने जयललिता को पत्र लिख राज्य में कन्नड़भाषी लोगों और उनकी संपत्ति की रक्षा के लिए पर्याप्य सुरक्षा उपाय करने के लिए कहा।