कोर्टरूम में मौजूद मामले की जांच कर रहे पुलिसवालों ने कहा कि दंगाइयों की ज्यादा भीड़ होने के कारण वे उस वक्त कोई ऐक्शन नहीं ले पाए थे। इस पर कोर्ट ने उन्हें उनकी ड्यूटी याद दिलाते हुए पूछा कि उनको बंदूकें क्यों दी गई हैं और अब तक उन्होंने इस मामले में कोई गिरफ्तारी क्यों नहीं की।
अदालत ने मामले में पुलिस की कमजोर FIR निरस्त करते हुए उन्हें पीड़ित रफीक सलोत की पत्नी जेतूबेन सलोत के बयान पर नई FIR लिखने का आदेश दिया। साथ ही CID को मामले की जांच शुरू करने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान पुलिसवालों के व्यवहार पर गुस्साए जज ने कहा कि उनकी निष्क्रियता से यह मामला बड़े सांप्रदायिक दंगे का रूप ले सकता था क्योंकि भीड़ के पास जानलेवा हथियार थे और उसने अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य के घर पर हमला बोला था।
याचिकाकर्ता सलोत के वकील आनंद यागनिक ने दंगे की वीडियो सीडी कोर्ट में जमा करने के बाद यह आरोप लगाते हुए उन्हें कोर्टरूम में चलाए जाने पर जोर दिया था कि स्टेट अथॉरिटीज कोडिनार में सांसद सोलंकी का आतंक रोकने के लिए कुछ नहीं कर रही हैं।