बिहार सरकार ने केंद्र की प्रश्नावली पर जवाब देने के बजाय केंद्र के राज्यों के विचार जानने के इस तरीके को गलत मानते हुए उलटे सलाह दे डाली कि पहले पक्षों से राय लेकर तब कोई कदम उठाना चाहिए।
हालांकि नीतीश कुमार का समान नागरिक संहिता पर ये पुरानी लाइन है लेकिन, हाल के दिनों में नोटबंदी को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बिहार में लागू किए गए शराबबंदी के समर्थन के बाद भले ही जो भी राजनैतिक कयास लगाया जा रहा हो उसके बाद ये फैसला काफी महत्वपूर्ण है।
इस फैसले से राज्य के महागठबंधन के सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस नीतीश कुमार के इस स्टैंड से अब राहत की सांस ले रहे हैं।
दरअसल राज्य सरकार को आपत्ति केंद्र की प्रश्नावली से थी जिसमें हर मुद्दे पर हां या ना में जवाब मांगा गया था। ये प्रश्नावली राष्ट्रीय विधि आयोग के अध्यक्ष बीएस चौहान ने पिछले साल अक्टूबर महीने में 16 बिंदुओं में भेजी थी। लेकिन, नीतीश सरकार ने विधि विभाग के सलाह पर संबंधित कानून में संशोधन की इस प्रश्नावली पर आधारित तरीके को खारिज कर दिया है।
हालांकि, कैबिनेट की बैठक में उन सारे 16 सवालों के बारे में भी जानकारी दी गई। बिहार में समान नागरिक सहिंता पर महागठबंधन के तीनों दलों में एक विचार हैं और इन दलों का मानना है कि फ़िलहाल केंद्र द्वारा इसे थोपा नहीं जाना चाहिए।































































