नई दिल्ली। केंद्र ने शुक्रवार(30 सितंबर) सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मुंबई की विवादित 28 मंजिला आदर्श कोआपरेटिव सोसाइटी के 93 फ्लैटों में अब भी ताले लगे हुए हैं और उसे इस बात की जानकारी नहीं है कि उन फ्लैटों के अंदर क्या है। न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति ए एम सप्रे की पीठ ने आदर्श सोसाइटी से उन फ्लैटों के मालिकों को पत्र लिखने तथा उनके ताले खोलने को कहा।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि 104 फ्लैटों में से 93 में ताले लगे हुए थे और उन्हें सिर्फ 11 फ्लैट ही खुले मिले, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कब्जे में ले लिया गया है।
कुमार ने कहा कि ‘‘हमें नहीं मालूम है कि उन 93 फ्लैटों में क्या है तथा अगर कल कोई आकर यह कहता है कि उनका सामान वहां था और वह क्षतिग्रस्त हो गया है, तो हमें जवाबदेह नहीं ठहराया जाना चाहिए।’’
आदर्श सोसाइटी की ओर से पेश वकील ने कहा कि तीन अक्तूबर तक परिसर में पड़े कुछ फर्नीचर तथा निर्माण सामग्री को हटा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इमारत खाली है और वहां कोई नहीं रह रहा है तथा 93 फ्लैट उन लोगों के हैं जिन्हें आवंटन पत्र मिले थे।
उन्होंने कहा कि उन फ्लैटों के मालिकों को पत्र लिखकर ताले खोलने के लिए कहा जाएगा, ताकि न्यायालय के निर्देशानुसार वे फ्लैट केंद्र को सौंपे जा सकें। पीठ ने इमारत गिराने के बंबई हाई कोर्ट के निर्देंश को चुनौती देने वाली याचिका के साथ आगे की सुनवाई के लिए मामले को स्थगित कर दिया।