शहर के लिए उच्च क्षमता मास ट्रांज़िट प्रणाली यानि लखनऊ मेट्रो की योजना अंतिम रूप ले चुकी है। लखनऊ में जमीन पर एक किमी मेट्रो पर 15 करोड़ रु का खर्च आएगा, वहीं भूमिगत लाइन में यह बढ़कर 27 करोड़ हो जाएगा। यूपी में कई शहरों में मेट्रो योजनाएं प्रस्तावित हैं। लखनऊ और कानपुर में मेट्रो रेल शुरू होने के बाद सड़कों पर भीड़ काफी कम हो सकेगी। वर्तमान में इन दोनों शहरों में हर। महीने लगभग 1 हजार नए चौपहिया वाहनों का पंजीकरण कराया जाता रहा है। लखनऊ में सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर बाइपास बना दिए जाने के बावजूद सड़कों पर गाड़ियों का दबाव बढ़ता ही जा रहा है। इस कारण से यहां मेट्रो जरुरी हो गई है।
अखिलेश सरकार ने लखनऊ और नोएडा के अलावा कानपूर, गाजियाबाद, इलाहबाद में मेट्रो रेल चलाने की योजना बनाई है। लखनऊ में हरी झंडी दिखने के बाद अखिलेश यादव के नोएडा भी जाने का कार्यक्रम है, जहां वो एक मेट्रो का उद्घाटन कर मेट्रो की सवारी भी करेंगे। दिसंबर के पहले हफ्ते में अखिलेश यादव कुल 9 योजनाओं का उदघाट्न करेंगे। ये वही योजनाएं हैं जिसका अखिलेश यादव ने 2013 में शिलान्यास किया था।
नोएडा में भले ही अखिलेश यादव के कार्यक्रम तय हो लेकिन नोएडा से जुड़े एक अंधविश्वास की चर्चा भी खूब है। माना जाता है जिस मुख्यमंत्री ने नोएडा में अपने सरकारी कार्यक्रम किए उसकी सत्ता चली जाती है। अब तक अखिलेश यादव भी नोएडा जाने से बचते रहे है। हालांकि नोएडा के लिए मुख्यमंत्री ने कई योजनाएं दी हैं, लेकिन सबका शिलान्यास और उद्घाटन वो लखनऊ से ही करते रहे हैं। ऐसे में ये देखना दिलचस्प है कि अखिलेश नोएडा में मेट्रो की सवारी का लुत्फ उठाते हैं कि नहीं।