अरविंद केजरीवाल एमसीडी को करेंगे कंगाल?

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फिलहाल दिल्ली की कुल आबादी में सिर्फ 30-35 प्रतिशत ही प्रॉपर्टी टैक्स देते हैं। जबकि बाकी 65-70 प्रतिशत टैक्स के दायरे में नहीं आते। संपत्ति कर आवासीय, कमर्शियल और इंडस्ट्रियल यूनिट्स के अलावा मिश्रित भूमि वालों से लिया जाता है। दक्षिण निगम में 11 लाख घरों में 4.75 लाख करदाता हैं। उत्तरी नगर निगम की 10 लाख संपत्तियों में लगभग 3.35 लाख संपत्ति करदाता हैं, जबकि पूर्व नगर निगम के चार लाख से अधिक संपत्ति मालिकों में 2.28 लाख टैक्स देते हैं।

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2016-17 में, दक्षिण, उत्तर और पूर्व नगर निगमों ने क्रमशः 775 करोड़, 435 करोड़ और 128 करोड़ रुपये हासिल किए थे, जो कुल राजस्व का लगभग 30% है। संपत्ति कर के रूप में आया राजस्व एमसीडी को लोगों को सुविधाएं मुहैया कराने में मदद करता है। मेहता कहते हैं कि हर देश में स्थानीय निकाय टैक्स लेते हैं, इसका कारण है कि सरकार कुल राजस्व का केवल एक हिस्सा देती करती है और नगर निगमों को बाकी सभी फंडों का प्रबंधन खुद करना पड़ता है। सफाई, प्राइमरी एजुकेशन और स्वास्थ्य सेवाओं पर बहुत बुरा असर पड़ेगा, अगर सर्विस टैक्स हटा दिया जाता है।

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