भुवनेश्वर में सोमवार शाम (17 अक्टूबर) को सम हॉस्पिटल में अचानक आग लगने में 20 लोगों की जान चली गई और लगभग 105 गंभीर रूप से जख्मी हो गए। इस मामले में पुलिस ने हॉस्पिटल के सुप्रीटेंडेंट के साथ तीन और लोगों को पकड़ा। जिसमें से एक फायर सेफ्टी ऑफिसर भी है। दरअसल इन सब पर गैर इरादतन हत्या के आरोप में मामले दर्ज किये गये हैं। इसके अलावा आग सेवा विभाग की तरफ से भी हॉस्पिटल के खिलाफ एक FIR दर्ज करवाई गई है। उसमें शिकायत की गई है कि 2013 में उन्होंने फायर सेफ्टी ऑडिट के दौरान कुछ सिफारिशें की थी जिन्हें नहीं माना गया था। पुलिस ने मंगलवार को हॉस्पिटल के सुप्रीटेंडेंट पुष्पराज सामंत, सेफ्टी ऑफिसर संतोष दास, इलेक्ट्रिकल मेंटेनेंस इंजीनियर अमूल्य साहू और जूनियर इंजीनियर माल्या साहू को गिरफ्तार किया।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक दो महीने पहले ही हॉस्पिटल की मान्यता रद्द हो चुकी थी। बावजूद इसके हॉस्पिटल चलाया जा रहा था। वह मान्यता अस्पताल और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (NABH) द्वारा दी जाती है। जानकारी के मुताबिक, हॉस्पिटल की मान्यता वहां की गुणवत्ता मानकों की कमी और आग से निपटने के लिए उपायों को लेकर ही रद्द की गई थी। NABH के सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि हॉस्पिटल के निरिक्षण के दौरान पता लगा था कि हॉस्पिटल ने अपना फायर नो ओबजेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) 2013 से रिन्यू ही नहीं करवाया था। साथ ही साथ आग से निपटने के लिए वहां मौजूद स्टाफ भी तैयार नहीं था। हॉस्पिटल को उसका पहला NABH सर्टिफिकेट जून 2013 में मिला था।
अगली स्लाइड में पढ़े घटना के बाद जिला प्रशासन को जांच के आदेश दिए जा चुके हैं।