नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के लिए पंजाब प्रभारी चुनना मुश्किल हो रहा है, जिस भी नेता को प्रभारी बनाया जाता है, वो विवादों में आ जाते हैं। कमलनाथ के बाद आशा कुमारी को पंजाब प्रभारी बनाकर कांग्रेस ने नया विवाद सिर मोल ले लिया है। आशा कुमारी कांग्रेस में फिलहाल सचिव पद पर है। आशा पर अवैध रूप से जमीन कब्जाने का आरोप है। जमीन कब्जाने के आरोप में आशा कुमारी कोर्ट से दोषी भी करार दी जा चुकी हैं। फिलहाल वह जमानत पर रिहा हैं। हिमाचल प्रदेश की पूर्व शिक्षा मंत्री और मौजूदा विधायक आशा कुमारी पर आरोप है कि उन्होंने 60 बीघा सरकारी जंगल की जमीन अपने पति विजेंद्रर सिंह को गैर कानूनी ढंग से आवंटित कराई। आशा कुमारी चंबा के राजघराने से तालुल्क रखती हैं। 1998 में हुए इस मामले में उनके पति भी आरोपी थे लेकिन सुनवाई के दौरान उनकी मौत हो गई थी। चंबा की अदालत ने आशा कुमारी को फरवरी 2016 में उन्हें दोषी करार दिया था।
आशा से पहले वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कमलनाथ को राज्य का प्रभारी बनाया गया था लेकिन 1984 दंगों के दाग की वजह से उन्हें पद छोड़ना पड़ा। वहीं, आशा कुमारी ने खुद पर लग रहे आरोपों को दरकिनार करते हुए कहा कि इनमें कोई सच्चाई नहीं है। सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘बीजेपी की आदत ही आरोप लगाना है। मैं जल्द प्रेस से बात करूंगी।
इस बीच आशा कुमारी पर भारतीय जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी के तीखे हमले भी शुरू हो गए हैं। हिमाचल प्रदेश में बीजेपी के अध्यक्ष गणेश दत्त ने कहा कि आशा कुमारी विवादों में घिरी हुई हैं। देश को जब भ्रष्टाचार मुक्त करने की बात हो रही है, कांग्रेस का दागी चेहरे को लेकर आना ये साबित करता है कि कांग्रेस को कोई साफ सुथरा चेहरा नहीं मिल रहा है।
आप नेता संजय सिंह ने कहा कि आशा कुमारी दोषी करार दी जा चुकी हैं। कांग्रेस की पहचान है कि उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे बड़े घोटाले किए, वो भ्रष्टाचार की पहचान है। आशा कुमारी निराशा कुमारी साबित होंगी।