Use your ← → (arrow) keys to browse
यह मामला प्राथमिक जांच के बाद दर्ज किया गया, जिसमें पाया गया था कि वीरभद्र सिंह ने 2009 से 2012 के बीच बतौर केंद्रीय मंत्री अपने कार्यकाल में 6.03 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति जमा की थी, जो उनकी ज्ञात आय से अधिक थी। मुख्यमंत्री के वकील ने अपने तर्क में कहा था कि मुख्यमंत्री के आवास पर छापा मारने से पूर्व राज्य सरकार और गृह विभाग से अनुमति नहीं ली गई थी।
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक अक्टूबर, 2015 को एक अंतरिम आदेश में सीबीआई को अदालत की अनुमति के बिना वीरभद्र को गिरफ्तार करने, उनसे पूछताछ करने या उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने पर रोक लगा दी थी। मामला बाद में दिल्ली हाई कोर्टको स्थानांतरित कर दिया गया।
Use your ← → (arrow) keys to browse