यूपी में एक कांग्रेसी नेता द्वारा नौकरी के नाम पर पैसे वसूलने का मामला सामने आया है। करीब 25 साल से कांग्रेस यूपी की सत्ता में अपनी हैसियत के झंडे फहराने की जुगाड में है। इसके लिए विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव लड़ सकने वाले लोगों की छवि का ब्योरा जुटाया जा रहा है। भरसक कोशिशें चल रही हैं कि सभी प्रत्यानशियों को हर कीमत पर बेदाग ही खोजा-परखा जाये उसके बाद टिकट दिया जाए। लेकिन लखनऊ में ऐसे प्रयासों को भारी झटहका लगा है। यहां सरोजनीनगर सीट के लिए अपनी जोर-आजमाइश में जुटे एक नेता का नाम सरकारी विभाग में नौकरी दिलाने के लिए नाम पर बाकायदा धोखाधड़ी के बल पर भारी-भरकम उगाही के धंधे का खुलासा हो गया है। उस नेता का नाम इस कुत्सित धंधे में उछलने से इस पूरे विधानसभा चुनाव क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि पूरे लखनऊ और आसपास के इलाकों में भी माहौल सरगर्म हो गया है।
इस नेता का नाम है शैलेंद्र दीक्षित। मूलत: ठेकेदार है शैलेंद्र, लेकिन पिछले कुछ समय से वे कांग्रेस में चुनाव की तैयारी में जुट गये बताया जाता है। और हैरत की बात है कि यह आरोप किसी अन्यम साधारण व्य क्ति ने नहीं, बल्कि न्याीयपालिका में कार्यरत रह चुके एक वरिष्ठफ न्या यधिकारी और फिलहाल संयुक्तत राष्ट्रर संघ में मानवाधिकार के क्षेत्र में सेवारत शख्स् ने लगाया है। इंडियास्पेंड वेबसाइट की खबर के मुताबिक अंचल द्विवेदी नामक इस अधिकारी का आरोप है कि शैलेंद्र दीक्षित ने एक व्य क्ति को एनआरएचएम यानी राष्ट्रीधय ग्रामीण स्वारस्य्ाा मिशन में सरकारी नौकरी के लिए उगाही की है और एवज में एक लाख रूपयों की वसूली कर डाली।
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