केस 1- बिपिन ने सोसायटी के ग्राउंड फ्लोर के फ्लैट ए-58 के लिए 2 साल पहले पूरी पेमेंट दे दी। इसके बाद भी बिल्डर ने फ्लैट नहीं दिया। मई में कंपनी ने फोन किया कि आपके फ्लैट में गाय बंधी है, चाबी लेकर उसे बाहर निकालें। इसके बाद 12 मई को कंपनी ने फ्लैट पूरी तरह तैयार कर मुझे दे दिया। 28 से हमने पूजा कर अपने फ्लैट में रहना भी शुरू कर दिया है। फ्लैट में गाय बंधी होने के कारण मुझे फ्लैट मिल गया है। हेमंत और विपिन की तरह 4 महीनों में 6 लोगों को गाय के कारण फ्लैट मिल चुके हैं।
केस 2- हेमंत कुमार मिश्रा ने मई 2014 में अपने फ्लैट की पूरी पेमेंट कर दी थी, बावजूद इसके ग्राउंड फ्लोर के ए-57 फ्लैट का पजेशन नहीं मिला। बिल्डर कंपनी के अधिकारियों ने फोन भी उठाना बंद कर दिया। जुलाई में बिल्डर की ओर से फोन आया कि आपके फ्लैट में गाय बंधी है। इसके बाद कंपनी ने मुझे फ्लैट की चाबी देने के बाद रेनोवेशन का कार्य शुरू करवा दिया। इस सप्ताह के अंत तक मेरा फ्लैट तैयार होकर मिल जाएगा। गाय मैंने नहीं बांधी थी, लेकिन फ्लैट गाय की वजह से ही मिला।
वहीं एडल डिवाइन सोसायटी के एजीएम विवेक गुप्ता का कहना है कि बायर्स गलत तरीके से दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं। सोसायटी में पालतू पशु रखना मना है। कई बायर्स ने शिकायत की है कि पूछे बगैर उनके फ्लैट में गाय बांध दी गई, जिससे फ्लैट खराब हो रहा है। हमने नगर निगम में इसकी शिकायत की है।