नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में व्यवस्था दी है कि दुष्कर्म से पैदा हुआ बच्चा उसकी मां को मिले किसी भी तरह के मुआवजे से अलग मुआवजे का हकदार है। मंगलवार(13 दिसंबर) को कोर्ट ने सौतेली और नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार के दोषी पिता की अर्जी पर सुनवाई करते हुए उसे उम्रकैद की सजा सुनाई।
हालांकि हाईकोर्ट ने कहा कि बाल यौन अपराध संरक्षण कानून या दिल्ली सरकार की पीड़ित मुआवजा योजना में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। अदालत ने नाबालिग बेटी से दुष्कर्म के दोषी को मिली आजीवन कारवास की सजा को चुनौती अपील खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।
पीठ ने कहा है कि नाबालिग अथवा बालिग महिला के बलात्कार से जन्म लेने वाली संतान निश्चित रुप से अपराधी के कृत्य की पीड़ित होती है। इसी कारण से यह बच्चा मां को मिलने वाले मुआवजे की रकम से अलग मुआवजा पाने का हकदार है।
जस्टिस गीता मित्तल एवं जस्टिस आर के गाबा की खंडपीठ ने दुष्कर्म पीड़िता की गोपनीयता कायम रखने के दिशा-निर्देशों को नजरअंदाज करने के मामले में निचली अदालत के आदेश में खामी पाई है।
वहीं, हाईकोर्ट ने पीड़ित को मुआवजे की राशि निचली अदालत द्वारा निर्धारित 15 लाख रुपये की राशि को घटाकर साढ़े सात लाख रुपये कर दिया है। रेप की शिकार पीडिता ने 14 साल की उम्र में बच्चे को जन्म दिया था।