दिल्ली में खुले शराब ठेकों के खिलाफ प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव के नेतृत्व में स्वराज अभियान के अंतर्गत अपने-अपने इलाके में खुली शराब की दुकान के विरोध में करीब 100 से ज्यादा महिलाएं दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की पत्नी सुनीता से अपनी आपबीती सुनाने और सीएम साहब से पैरवी करवाने उनके घर जा पहुंची। लेकिन उन्हें मायूसी हाथ लगी, क्योंकि उनके स्टाफ ने कहा कि मैडम घर पर नहीं हैं।
जिसके बाद महिलाओं ने सीएम की पत्नी सुनीता के नाम एक चिट्ठी लिखी और उसमें कहा गया कि आप केजरीवाल जी पत्नी हैं और संभव हो तो हमारी उनसे पैरवी कर दो। महिलाओं ने चिट्ठी केजरीवाल के घर तैनात स्टाफ को सौंप दिया। चिट्ठी में महिलाओं की ओर से लिखा, ‘हम अपनी परेशानी को लेकर सभी दरवाजे खटखटा लिए।
विधायक, अधिकारी से लेकर बड़े नेता मंत्रियों तक सबके आगे गुहार लगाई। लेकिन हमारी शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं हुई। आपसे मिलने का कारण ये है कि आपमें हमें एक उम्मीद दिखी, आप भी हमारी तरह एक सरल महिला हैं, गृहणी हैं। आपका भी एक परिवार है और बच्चे हैं। आप शायद हम महिलाओं का दर्द समझ पाएंगी।’
महिलाओं की लिखी चिट्ठी:
नमस्ते बहनजी,
हम दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों से आईं आम औरतें हैं. बहुत परेशानी में हैं. डरे, सहमें और घबराए हुए हैं. डर हमें अपनी सम्मान और सुरक्षा के लिए है. घबराहट अपने बच्चों के भविष्य के लिए है और सहमें हुए इसलिए हैं कि हमारा जीना दूभर हो गया है. हम लोग अपने इलाकों में खुले शराब के ठेकों से त्रस्त हैं. स्थानीय लोगों के विरोध के बाद भी दिल्ली सरकार ने हमारे इलाके में शराब का ठेका खोल दिया है, जिसके कारण छीनाझपटी, छेड़खानी, अश्लील हरकतों से लेकर मारपीट तक की घटनाएं आम बात हो गई हैं.
बच्चे को स्कूल छोड़ने के लिए अलग रास्ता लेना पड़ता है. शाम होते ही गली से गुजरना नामुमकिन हो गया है. कुछ इलाकों में तो दारू बीयर की बोतलें घरों के पास फेंकी मिलती है, हममें से कई बहनों के पति रोज रात को नशे में घर लौटते हैं, मारपीट गाली गलौज करते हैं. बता नहीं सकते किस-किस तरह की समस्याओं का सामना हमें करना पड़ रहा है.
अपनी परेशानी को लेकर हमने सभी दरवाजे खटखटा लिए. विधायक, अधिकारी से लेकर बड़े नेता मंत्रियों तक सबके आगे गुहार लगाई. लेकिन हमारी शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं मिली, समस्याओं का कोई समाधान नहीं मिला. आपसे मिलने का कारण ये है कि आपमें हमें एक उम्मीद दिखी. आप भी हमारी तरह एक सरल महिला हैं, गृहणी हैं. आपका भी एक परिवार है, बच्चे हैं. आप शायद हम महिलाओं का दर्द समझ पाएंगी.
हमारा बस एक निवेदन है आपसे, यदि संभव हो तो अरविंद जी से हमारी पैरवी कर दें. शायद वो हमारी परेशानी नहीं समझ पा रहे, वरना डेढ़ साल में ही दिल्ली में 399 नए शराब के लाइसेंस नहीं बांटते. शायद वो समझ नहीं पा रहे कि शराब के नशे को धंधा बनाकर पैसे कमाना कोई अच्छी बात नहीं. आप बात करेंगी तो वो जरूर समझेंगे.
हमने तो अरविन्द जी की बातों पर भरोसा करके ही उन्हें वोट दिया था. उन्होंने कहा था कि हमसे पूछे बिना कोई दारु का ठेका नहीं खुलेगा. लेकिन ठीक इसके उलट हुआ है हमारे इलाके में. स्वराज का वादा किया गया था, लेकिन शराब का ठेका थमा दिया गया है. शायद आपके समझाने से हमारे इलाके में खुला दारु का ठेका बंद कर दिया जाए. आपसे उम्मीद है. आप ही अरविंद जी को कुछ समझ और सद्बुद्धि दे सकते हैं.
स्नेहपूर्ण अभिवादन
आपकी बहनें