नोटबंदी का असर हर तरफ है कही शादी का रंग फिका पड़ा तो कही शव लेने के लिए करनी पड़ी मिन्नते। सरकार के कहने पर भी निजी अस्पताल अपनी मनमानी पर उतर आए हैं। नकद राशि के बिना अस्पताल मृतकों के शव भी परिजनों को नहीं दे रहे हैं। रविवार रात ऐसा ही एक मामला सामने आया।
गांव जड़ौली निवासी प्रदीप (35) को शहर के अमृतधारा अस्पताल में दाखिल कराया था। तीन दिन पहले उसे सांस में दिक्कत थी और इन्फेक्शन भी था। रविवार को करीब पौने आठ बजे अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि प्रदीप की मौत हो गई है। अस्पताल ने परिजनों को 22 हजार रुपये का बिल थमा दिया। परिजनों ने रिश्तेदारों और जानकारों को फोन कर जैसे-तैसे पैसे एकत्र किए, प्रबंधन ने पुराने नोट लेने से इनकार कर दिया। जब तीन घंटे तक अस्पताल ने शव को कब्जे से नहीं छोड़ा तो परिजनों ने एक दूसरे निजी अस्पताल के डॉक्टर का फोन कराया तो चेक लेने पर सहमति बनी।