लातेहार। झारखंड में चतरा और पलामू जिले की सीमा से सटा, चारों तरफ जंगलों और पहाड़ों से घिरा एक गांव है खीराखांड़, इस गांव में आजकल भूतों ने डेरा जमा रखा है। यहां इंसान नहीं बल्कि भूत रहते हैं। यही वजह है कि करीब तीन हफ्ते पहले ये गांव पूरी तरह खाली हो चुका है। गांव के चप्पे-चप्पे पर सन्नाटा पसरा है। गलियां सूनी पड़ी है। अब यहां इंसानों का नहीं बल्कि भूतों का बसेरा है।
इस गांव में करीब नौ परिवार रहते हैं। इन सभी परिवारों में कुल मिलाकर 60 लोग रहते हैं। पर अब इस गांव के सभी लोग गांव छोड़कर पलायन कर चुके हैं। गांव छोड़ने के पीछे एक हैरतंगेज कहानी छिपी है। दरअसल इस गांव में पिछले 6 महीने के अंदर 6 लोगों की मौत हो चुकी है। जिसके बाद गांव में खौफ पसर गया। लोगों को लगने लगा कि जरूर गांव में कोई रूहानी ताकत है। जो एक-एक कर गांव के लोगों की जिंदगियां निगल रही है। भूतों से डरे-सहमे गांव के लोग अपने कच्ची झोंपड़ियों को छोड़कर यहां से भाग खड़े हुए। गांव में एक छोटा सा स्कूल भी है..जहां अब छात्र तो नहीं बल्कि खाली कमरे हैं।
ये गांव इतना पिछड़ा हुआ है कि यहां जाने के लिए सड़क तक नहीं है। गांववालों को गांव जाने के लिए जंगलों और कच्च रास्तों से होकर मीलों चलना पड़ता है। बताया जाता है कि नक्सली सबजोनल कमांडर बीरबल परहिया इसी गांव का था। जो छह महीने पहले गिरफ्तार किया जा चुका है।