नई दिल्ली। नोटबंदी के खिलाफ करीब सभी विपक्षी दलों द्वारा बुलाए गए 28 नवंबर को नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जनता दल यूनाइटेड(जेडीयू) ने भारत बंद का समर्थन नहीं करने का एलान किया है। नीतीश के भारत बंद से खुद को अलग रखने की घोषणा के बाद माना जा रहा है कि लालू की राजद और अन्य भाजपा विरोधी दलों से उनकी राष्ट्रीय राजनीति में दूरी बढ़ेगी।
जेडीयू की कोर कमेटी बैठक के बाद ही यह फैसला लिया गया है कि नोटबंदी के खिलाफ विरोधी दलों द्वारा बुलाए गए किसी भी धरना, प्रदर्शन में भाग नहीं लेगी। वह अपने आप को इस भारत बंद से अलग कर लिया है।
नोटबंदी के ज्वलंत मुद्दे पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जो चौंकाने वाला समर्थन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिला है, उससे दरार के संकेत सुर्खियों में आ गए हैं। वैसे, अभी यह महज संकेत ही है। लेकिन इससे नीतीश-लालू गठबंधन सरकार में टूट-फूट की गुंजाइश से इनकार नहीं किया जा सकता।
विपक्षी पार्टियां नोटबंदी के मुद्दे पर नीतीश से जिस आक्रामक रुख की उम्मीद कर रहे थे वह फिलहाल नीतीश पूरा करने में असमर्थ हैं। हालांकि नीतीश ने महागठबंधन के विधायक दल की बैठक में साफ कर दिया था कि राष्ट्रीय मुद्दे पर तीनों दल अलग-अलग स्टैंड ले सकते हैं। यह महागठबंधन बिहार के लिए है।