‘मानवाधिकार के मामले में झारखण्ड सरकार का रिकॉर्ड संतोषजनक’

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फाइल फोटो।

नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एच एल दत्तू ने गुरुवार(8 सितंबर) को कहा कि झारखण्ड सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति समेत सभी कमजोर वर्गों के मानवाधिकार हनन से सम्बन्धित मामलों के निष्पादन के प्रति सजग है और ऐसे मामलों में राज्य सरकार की कार्रवाई संतोषजनक है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष एच एल दत्तू ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग निरंतर कमजोर तबकों के मानवाधिकार हनन से सम्बंधित मामलों का संज्ञान ले रहा है और शासन की ओर से उठाये गए कदमों की समीक्षा कर रहा है।

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धुर्वा में खुले शिविर के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि पहले दिन 15 मामलों की सुनवाई हुई, जिसमें से छह मामलों का निपटारा कर दिया गया। पीड़ितों को नौ लाख रुपये देने के निर्देश दिए गए हैं।

उन्होंने बताया कि फ्लोराइड व आर्सेनिक तत्वों के कारण दूषित पेयजल से प्रभावित लोगों के मामले की सुनवाई के दौरान आयोग ने राज्य सरकार को जिलेवार प्रतिवेदन देने का निर्देश दिया है और तीन महीने के भीतर इस समस्या के समाधान की कार्य योजना समर्पित करने को कहा गया है। सिलिकोसिस से हुई मौत के मामले में आयोग ने राज्य सरकार को पीड़ित को मुआवजा देने को कहा है।

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एक सवाल के जवाब में दत्तू ने बताया कि अवैध कोयला उत्खनन के मामले में आयोग ने राज्य सरकार से तीन महीने के भीतर अद्यतन रिपोर्ट तलब की है। इस संबंध में कोल इंडिया के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक को भी नोटिस जारी कर रिपोर्ट देने को कहा गया है।

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पलामू जिले के बकोरिया गांव में जिला पुलिस बल व सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन द्वारा की गई मुठभेड़ की सीबीसीआईडी रिपोर्ट तीन माह में मांगी गयी है। न्यायमूर्ति सी जोसेफ, न्यायमूर्ति डी मुरुगेषण और एस सी सिन्हा की एकल पीठों द्वारा की गई खुली सुनवाई का ब्यौरा देते हुए दत्तू ने बताया कि अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति से जुड़े 69 शिकायतवादों की सुनवाई हुई, जिनमें से 27 मामले पूर्णतया निष्पादित कर दिए गए।