अखबार द इंडियन एक्सप्रेस कि खबर के मुताबिक, मीटिंग में यह फैसला लिया गया था कि जिन स्कूलों में चतुर्थ श्रेणी (जिसमें चौकीदार भी आते हैं) के कर्मचारी नहीं है, वहां की देखरेख टीचर्स करेंगे। कश्मीर में रात के लिए 20 फीसदी से भी कम स्कूलों में चौकीदार मौजूद है। चौकीदार की जिम्मेदारी दिए जाने के सरकार के इस फैसले से अधिकतर स्कूलों के शिक्षक काफी नाराज हैं।
राफियाबाद स्कूल के हेडमास्टर ने बताया, यहां तक कि महिलाओं को भी इस निर्देश में राहत नहीं दी गई है। महिलाओं को कहा गया है कि अगर वह रात में नहीं आ सकती तो अपनी जगह परिवार के किसी पुरुष को भेज सकती है। डांगीवाचा के गवर्मेंट मिडल स्कूल के टीचर फारूक अहमद ने कहा, मैं तीन रातों से लगातार स्कूल जा रहा हूं। हमारे जोनल एजुकेशन ऑफिसर ने एक साप्ताहिक सूची जारी की है। इसमें शिक्षकों के नाम और रात में उनकी ड्यूटी लिखी है। इस पूरे हफ्ते मुझे नाइट ड्यूटी करनी है।
जम्मू-कश्मीर के शिक्षा मंत्री नईम अख्तर ने बताया कि शिक्षा विभाग ने इस तरह का कोई आदेश जारी नहीं किया है। ऐसा स्थानीय स्तर पर किया जा रहा होगा। हालांकि शिक्षक वर्ग का कहना है कि ऐसी परिस्थितियों में रात की ड्यूटी करना कितना खरतनाक है। अगर हमें कुछ हो जाता है तो कौन हमारी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेगा।