कश्मीरी नेता की चेतावनी- सीरिया की राह पर जा सकता है कश्मीर

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कश्मीरी नेता

श्रीनगर : कश्मीरी नेता ने चेतावनी दी है कि कश्मीर, सीरिया की राह पर जा सकता है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और सांसद मुजफ्फर हुसैन बेग ने चेतावनी दी है कि कश्मीर में करीब 6 दशक से चला आ रहा लंबा राजनीतिक संघर्ष अब मजहबी युद्ध का रुख अख्तियार कर सकता है। पीडीपी नेता बेग ने कहा कि कश्मीर में यथास्थिति बनाए रखने की जगह नई रणनीति अपनायी जानी चाहिए।कश्मीरी नेता बेग ने कहा, कश्मीर का संघर्ष अब ISIS से जुड़ सकता है, इससे पहले संघर्ष और तनाव के तीन चरण हमने देखे हैं लेकिन अब कश्मीर का संघर्ष चौथे चरण में पहुंच गया है। यह संघर्ष अब मजहबी रूप ले रहा है। अब यह राजनीतिक नहीं रह गया है बल्कि धार्मिक उन्माद से जुड़ गया है। इस संघर्ष का लक्ष्य है कि मुस्लिमों के पास अपना अलग राज्य हो क्योंकि अब वह एक हिंदू राज्य में नहीं रह सकते हैं।

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2002 से 2006 तक जम्मू-कश्मीर के कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री बेग ने कहा, कश्मीर में जो तनाव विभाजन और जिन्ना के दो राष्ट्र के सिद्धांत से उपजा, वह अब बहुत ही भयंकर हो चुका है। हालांकि आतंकवाद ने 1990 में कश्मीर को तब अपनी मुठ्ठी में जकड़ा जब हजारों से ज्यादा कश्मीरी मुस्लिम और सौ से ज्यादा कश्मीरी पंडित नरसंहार में मारे गए लेकिन तनाव पहले से स्थानीय संघर्ष का हिस्सा था। कश्मीर में चाहे जितना भी तनाव हुआ हो लेकिन वह कभी भी दुनिया भर में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए चलाए जा रहे खिलाफत का हिस्सा नहीं था। लेकिन अब खतरा उत्पन्न हो गया है कि यह अंतरराष्ट्रीय संघर्ष का हिस्सा बन जाए। पीडीपी नेता ने कहा कि उन्हें डर है कि कहीं कश्मीर घाटी में हिंसा अब और न बढ़ जाए।

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बेग ने बताया, अभी तक कश्मीर में बुजुर्ग और ग्रामीण वोट करते थे। अब इस पर खतरा हो सकता है। ऐसा लगता है कि धार्मिक उन्माद ने युवाओं के दिल और दिमाग में गहरे से पैठ बना ली है। यहां तक कि महिलाएं भी इसमें शामिल हो रही हैं, बहुत बड़े स्तर पर नहीं लेकिन फोर्स और पेलेट गन्स के अत्यधिक प्रयोग से महिलाएं भी संघर्ष के केंद्र में आ रही हैं। कश्मीर के संघर्ष की तीन कहानी को तीन चरणों के बारे में कश्मीरी नेता बेग व्याख्या करते हुए बताते हैं, पहले चरण में 1953 से 1975 तक का संघर्ष जो शेख अब्दुल्ला की रिहाई और उनकी सत्ता में वापसी के लिए था। दूसरा चरण 1975 से 1987 तक कश्मीर की स्वायत्तता के लिए किया गया संघर्ष था। तीसरे चरण का संघर्ष पहले दो चरणों से बिल्कुल अलग था। 1987 के चुनाव ने एक उम्मीदवार युसूफ शाह को हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन में तब्दील कर दिया और एक युवा यासीन मलिक को आजाद कश्मीर की लड़ाई का प्रतीक बना दिया। लेकिन अब तक आजादी का मुद्दा भी राजनीतिक था।

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हावर्ड से पढ़े कश्मीरी नेता बेग ने कहा कि कश्मीर के संघर्ष का चौथा चरण अब वैश्विक धार्मिक युद्ध से जुड़ गया है। कई देश अरब राज्यों की तर्ज पर चल रहे हैं और इसे अपने हिसाब से इससे छेड़छाड़ कर रहे हैं। इन सब गलतियों की वजह से दुनिया भर में धार्मिक अतिवाद और खिलाफत की वापसी हो रही है। जब खिलाफत हुआ करता था तो पूरा मुस्लिम समुदाय एक राजनीतिक नेतृत्व में काम करता था। लेकिन खिलाफत का दावा करने के लिए इस बार कोई राजनीतिक पार्टी नहीं है बल्कि एक जिहाद की लड़ाई छेड़ने वाला आतंकवादी संगठन ISIS है। इस नए तत्व के उभरने से कई देश प्रभावित हुए हैं और भारत में भी खतरा पैदा हो गया है कि कश्मीरी युवाओं के दिल और दिमाग में यह अतिवाद अपनी छाप न छोड़ दे। इसलिए हमें दूरदर्शी और प्रभावशाली रणनीति अपनानी चाहिए।
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