सूत्र बताते हैं कि इन बिलों की पूरी जानकारी दिल्ली राजनिवास तक भी पहुंच चुकी है और राजनिवास के सवालों के घेरे में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का चाय-समोसे वाला बिल शामिल है। सूत्र बताते हैं कि राजनिवास इस बात की जानकारी ले रहा है कि क्या सीएम का यह बिल उसके जांच के दायरे में आ सकता है या नहीं। राजनिवास के अधिकारी यह मानकर चल रहे हैं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के पास कोई भी विभाग नहीं है और वह चीफ मिनिस्टर विदाउट पोर्टफोलियो हैं, इसलिए उनका सरकारी बिल इतना कैसे बन सकता है।
उसका कारण यह है कि दिल्ली सरकार का सारा कामकाज उप मुख्यमंत्री देखते हैं। अधिकतर मीटिंग वगैरह उनके कार्यालय में होती है और सारे अधिकारी भी उनसे ही मिलने आते हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री का चाय-समोसे का बिल तो करीब 47 लाख रुपये है और उप मुख्यमंत्री का बिल इतना कम 11.28 लाख कैसे हो गया। इस मसले पर सांध्य टाइम्स ने सुबह इस मसले पर दिल्ली सरकार के प्रवक्ता नागेंद्र शर्मा से मोबाइल पर बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।
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