
अधिकारी ने यह भी कहा है कि “विज्ञापनो में पीएम मोदी पर आरोप लगाए गए हैं, जबकी एक सरकारी विज्ञापन में प्रधानमंत्री पर आरोप लागाना सही नहीं होगा।” अदालत के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए निदेशालय ने ध्यान दिलाया है कि सरकारी विज्ञापनों में राजनैतिक और पक्षपातपूर्ण बातें नहीं होनी चाहिए। निदेशालय ने यह भी कहा है कि सरकारी विज्ञापनों को राजनैतिक तौर पर निष्पक्ष होना चाहिए। साथ ही, इसमें विपक्षी दल के नजरिए या फिर कामों को लेकर सीधा हमला भी नहीं किया जाना चाहिए।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, यह विज्ञापन मनीष सिसोदिया के ऑफिस से भेजा गया था। बता दें कि सिसोदिया दिल्ली सरकार के प्रचार विभाग के भी प्रमुख हैं। इसके जवाब में निदेशालय ने यह भी कहा है कि ‘सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन्स में कहा गया है कि सरकारी विभागों और एजेंसियों के प्रमुखों पर इन गाइडलाइन्स के पालन की जिम्मेदारी होगी। मीडिया में जारी किए जाने से पहले संबंधित विभाग के प्रमुख द्वारा प्रमाणित किया जाना जरूरी होगा।’ निदेशालय ने इस निर्देश का जिक्र करते हुए ध्यान दिलाया है कि मौजूदा विज्ञापनों को चूंकि किसी भी HOD द्वारा मंजूरी नहीं दी गई है, ऐसे में यह साफ नहीं है कि अदालत के गाइडलाइन्स का पालन करने की जिम्मेदारी किसकी मानी जाएगी।































































