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इनमें से कई किसानों के पास बैंक खाते नहीं हैं। उन्हें पता चला कि मंडी में फसल बेचने पर भी उन्हें कैश नहीं चेक मिलेगा। किसान मदनलाल जाटव ने बताया कि मेरा बेटा केजी में पढ़ता है। नोटबंदी के कारण हम उसकी फीस नहीं जमा कर पा रहे थे।
ऐसे में मंडी में फसल बेचकर चेक लेना और फिर बैंक की लंबी लाइनों में लगकर कैश मिलने का इंतजार करना चुनौतीपूर्ण था इसलिए हमने स्कूल से बातकर धान देने का फैसला किया।
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