महाराष्ट्र में लड़कियों के लिए तैयार एक प्रमुख योजना से लड़कियों को लाभ नहीं

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सरकारी आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2014 तक देश भर में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले कम से कम 70 लाख और गरीबी रेखा से ऊपर 160 लाख परिवार हैं।

27 फरवरी 2017 को नवी मुंबई में इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेज (आईसीडीएस) कमीशनेट द्वारा सूचना के अधिकार के तहत दायर आवेदन के दिए गए जवाब के अनुसार, “2016-17 के लिए इस योजना के लिए 25 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इसमें से अब तक कुछ खर्च नहीं किया गया है। ”

न खर्च किए गए धन में प्रचार के लिए 1.25 करोड़ रुपए (आवंटन का 5 फीसदी) शामिल हैं। हालांकि, राज्य वित्त विभाग के बजट एस्टमैशन, ऐलकैशन, एंड मानटरिंग सिस्टम पर मार्च 2017 के लिए योजना के व्यय डेटा से पचा चलता है कि 21.82 लाख रुपये का इस्तेमाल ‘विज्ञापन और प्रचार’ के तहत किया गया है। शेष मदों में बजट के तहत कोई व्यय नहीं है। इसका मतलब हुआ कि अब तक कोई लाभार्थी नहीं है।

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9 वीं सबसे कम लिंग अनुपात के साथ राज्य में महत्वपूर्ण प्रोत्साहन

‘माझी कन्या भाग्यश्री योजना’ केंद्रीय सरकार द्वारा बेटी बचाओ, बेटी पढाओ की तर्ज पर जनवरी 2015 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा शुरु किया गया । राज्य महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा चलाए जाने वाले 18 कल्याणकारी योजनाओं में से ‘माझी कन्या भाग्यश्री’ एकमात्र ऐसी योजना है, जिससे राज्य की लड़कियों को प्रत्यक्ष रुप से वित्तीय लाभ मिलता है।

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अन्य कल्याणकारी योजना या तो विशिष्ट लक्ष्य समूहों के लिए हैं, जैसे अत्याचारों, निराश्रित महिलाओं, अनाथों और गर्भवती महिलाओं के लिए हैं या केवल चयनित जिलों में ही लागू हैं। इन योजनाओं में प्रशिक्षण, परामर्श जैसी सेवाएं प्रदान की जाती हैं।

महाराष्ट्र के बाल लिंग अनुपात 1000 लड़कों (छह वर्ष से कम) पर 894 लड़कियों का दर्ज किया गया था। 2011 की जनगणना के मुताबिक यह भारत में नौवां सबसे कम आंकड़ा है। यह अनुपात 1991 में प्रति 1000 लड़कों पर 946 लड़कियों से गिरकर 2001 में 913 और और 2011 में 894 हुआ है।

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स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की वर्ष 2015-16 की इस रिपोर्ट के मुताबिक लिंग निर्धारण के खिलाफ होने वाले अदालती या पुलिस मामलों में देश भर में महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है। महाराष्ट्र के लिए ये आंकड़े 512 हैं, जबकि 621 मामलों के साथ राजस्थान पहले स्थान पर है।

पोतियों का अभिनंनदन, पंचायत और परिवारों को प्रोत्साहन

यह कार्यक्रम व्यापक प्रोत्साहन प्रदान करता है। योजना के अनुसार पोते न होने और एक या दो पोतियां होने पर दादा-दादी को 5000 रुपए का एक सोने का सिक्का प्रदान किया जाएगा। परिवार को यह प्रोत्साहन समाज में बालिकाओं की स्थिति को मजबूत कर सकती है।

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