बाल लिंग अनुपात में सुधार और लड़कियों के विकास के लिए ग्राम पंचायतों को 500,000 रुपए दिए जाएंगें। हम यहां बता दें कि योजना के दिशा-निर्देश विवरण प्रदान नहीं करते हैं।
सुकन्या योजना में लड़कियों की उम्र 18 वर्ष होने के बाद उन्हें 18,000 रुपए का भुगतान किया जाता था। लेकिन ‘माझी कन्या भाग्यश्री योजना’ में चरणबद्ध लाभ की तरह अनुदान का प्रावधान है । इस अनुदान के साथ एक छोटी सी शर्त भी है-यह सुनिश्चित करना होगा कि दी गई राशी का इस्तेमाल सही उद्देश्य के लिए किया जाएगा।
बीपीएल परिवारों को लड़की के पांच वर्ष हो जाने तक पोषण के लिए हर साल हर 2,000 रुपए और लड़की के 12वीं कक्षा में जाने तक हर शैक्षणिक वर्ष में 3,000 रुपए तक की राशि दी जा सकती है।
इसके लिए परिवारों को बच्चियों का स्कूल-उपस्थिति का वार्षिक रिकॉर्ड जमा करना होगा। उनकी बच्चियों को परिवार की आय के बावजूद 18 साल की उम्र पूरी होने पर 1 लाख रुपये मिलेंगे, बशर्ते कि इसमें से कम से कम 10,000 रुपए स्वयं-रोजगार या उच्च शिक्षा के लिए निवेश किया जाएगा।
क्यों नसबंदी प्रमाणपत्र बन गया है मुख्य बाधा ?
योजना के नियमों के अनुसार कार्यक्रम के लिए कोई भी आवेदन तब तक मान्य नहीं होगा, जब तक कि महिलाओं द्वारा नसबंदी प्रमाणपत्र जमा नहीं कराया जाता है।
हालांकि कार्यक्रम के अधिकारी भी इसे एक बाधा के रुप में देखते हैं, क्योंकि दंपत्ति जन्म नियंत्रण के माध्यम के रुप में नसबंदी प्रमाण पत्र जमा कराने से जी चुराते हैं।
नाम न बताने की शर्त पर मुंबई के पश्चिमी उपनगरों में एक पुराने खार-सांताक्रूज बाल विकास परियोजना कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि, “कई जोड़े हैं जिनकी केवल दो बेटियां हैं, लेकिन जन्म नियंत्रण के अन्य साधनों का पालन कर रहे हैं। जब हमने इस योजना के बारे में उन्हें सूचित करने के लिए उनसे संपर्क किया तो उन्होंने हमें लिखित रूप में दिया कि वे अपना फायदा नहीं चाहते हैं।”