महाराष्ट्र में लड़कियों के लिए तैयार एक प्रमुख योजना से लड़कियों को लाभ नहीं

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ठाणे जिले में अंबरनाथ के बाल विकास परियोजना अधिकारी राहुल मोरे के अनुसार, उनके कार्यालय द्वारा प्राप्त किए गए दो आवेदन अस्वीकार किए गए हैं। 7 मार्च, 2017 को आरटीआई के तहत उत्तर के अनुसार, “दोनों आवेदक नसबंदी प्रमाणपत्र देने में असफल रहे हैं। “

इसी तरह 22 मार्च 2017 तक, मुंबई के 10 शहरी बाल विकास परियोजना कार्यालयों में इस योजना के लिए कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुआ था। इन क्षेत्रों के कार्यालयों से लेखक द्वारा प्राप्त आरटीआई उत्तर के अनुसार – वे क्षेत्र हैं मुबंई में कुर्ला, टुंगा मोहिली, भण्डुप (पूर्व), बांद्रा (पश्चिम), जोगेश्वरी, शिवाजीनगर, ट्रॉम्बे, वडाला-शिवड़ी, रेडलाईट क्षेत्र और बोरिवली।

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राज्य के दूसरे हिस्सों में दस अन्य शहरी बाल विकास परियोजना कार्यालय- नांदेड़ जिले के नांदेड़ शहर, परभानी जिले के परभानी शहर, पंढरपुर शहर और सोलापुर-पंढरपुर-बार्शी क्षेत्र के सोलापुर जिले, ठाणे जिले के मीरा-भायंदर शहर, अहमदनगर -1 अहमदनगर जिले के शहर क्षेत्र, औरंगाबाद – औरंगाबाद जिले के 1 और 2 शहरी क्षेत्रों, सांगली जिले के सांगली शहर और कोल्हापुर जिले के इचलकरंजी शहर में भी 23 मार्च 2017 तक कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है।

अहमदनगर एक ऐसा जिला है, जिसे ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’आंदोलन के तहत कम बाल लिंग अनुपात को देखते हुए लिंग के मामले में संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया है। 16 मार्च 2017 को अहमदनगर जिला परिषद में महिला और बाल विकास विभाग के अनुभाग अधिकारी से प्राप्त आरटीआई उत्तर के अनुसार, प्रशासन ने 14 तालुकों (प्रशासनिक विभागों) में से किसी भी ग्रामीण बाल विकास परियोजना कार्यालय की ओर से कोई आवेदन नहीं प्राप्त किया है।

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एक अन्य लिंग-महत्वपूर्ण जिला जलगांव के भुसावल शहर में शहरी बाल विकास परियोजना कार्यालय में भी 8 मार्च 2017 तक कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है।

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लड़कियों को पोषण कार्यक्रम महिलाओं पर नसबंदी का बोझ

‘बेटी बचाओ- बेटी पढाओ’ का उद्देश्य है, “जीवन चक्र लगातार जारी रखने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना और पितृसत्ता को चुनौती देना” है। वहीं ‘माझी कन्या भाग्यश्री योजना’ में महिलाओं पर ही जन्म नियंत्रण की जिम्मेदारी है।

यह दृष्टिकोण महिलाओं और बाल विकास मंत्रालय के मसौदे महिलाओं पर राष्ट्रीय नीति -2016 से एकदम अलग है, क्योंकि इस नीति में नसबंदी का फोकस महिलाओं पर नहीं, पुरुषों पर है।

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