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मामला गर्मा जाने के बाद मेरठ के मेयर को हस्तक्षेप करना पड़ा। मेयर ने ध्वनिमत के जरिए वंदे मातरम को गाना सभी सदस्यों के लिए अनिवार्य करने का प्रस्ताव पास किया। हालांकि प्रस्ताव को लागू करने के लिए अभी सरकार की तरफ से मंजूरी मिलनी बाकी है। वहीं, आहलूवालिया का कहना है कि वंदे मातरम अपनी मातृभूमि के प्रति सम्मान जताने का एक जरिए है। उन्होंने कहा कि जब निगम में मुस्लिम मेयर रहे थे तब भी वंदे मातरम गाया जाता था, तो इसमें विवाद कैसा है। नगर निगम बोर्ड में 80 सदस्य हैं, जिसमें से 45 भाजपा के और 25 मुस्लिम हैं। यहां काम करने वाले एक मुस्लिम काउंसलर ने कहा कि माहौल काफी गर्मा गया है, ऐसे में यहां से निकल जाना ही बेहतर होगा। हमें काफी बुरा लगा है। हमारे भी पूर्वजों ने देश की आजादी में सहयोग किया था।
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