‘गालिब उधारी पर चलते थे, इसलिए इस माहौल में उन्हें तकलीफ नहीं होती’- नजीब जंग

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नजीब जंग

19वीं शताब्दी के सबसे बड़े कवि और शायर मिर्ज़ा ग़ालिब का आज जन्मदिन है। अपनी लेखनी से वो जो कमाल कर गये वो शायद ही इतिहास में कोई और शायर कर पाया हो, और शायद ही भविष्य में कोई शख्स ऐसी कालजयी कृतियों के निशां छोड़ पाये।

 

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दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने नवंबर में ‘साहित्य आज तक’ के मंच से गालिब की तारीफ करते हुए उनके कई शेर दोहराए। गालिब के बारे में नजीब जंग ने कहा कि गालिब कोई मामूली इंसान नहीं थे। नजीब जंग ने मिर्जा गालिब को उर्दू शायरी का बेताज बादशाह बताया। एक सवाल के जवाब में नजीब ने यह भी कहा कि गालिब अगर आज होते तो उन्हें अभी के माहौल से खास दिक्कत नहीं होती, क्योंकि उनका जीवन उधारी से चलता था।
गालिब के लिखे पत्र, जो उस समय प्रकाशित नहीं हुए थे, को भी उर्दू लेखन का महत्वपूर्ण दस्तावेज माना जाता है। मिर्जा गालिब मुगल काल के आखिरी शासक बहादुर शाह जफर के दरबारी कवि भी रहे थे। आगरा, दिल्ली और कलकत्ता में अपनी जिंन्दगी गुजारने वाले गालिब को उनकी उर्दू गजलों के लिए काफी याद किया जाता है।

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