17 सितंबर अर्थात प्रधानमंत्री का जन्मदिवस। जिस दिन वे सरदार सरोवर परियोजना के 30 दरवाजे खोलकर इसे राष्ट्र को समर्पित करेंगे। जहा वे इस परियोजना के माध्यम से गुजरात को शौगात देने वाले है। वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश के कई जिलों में मातम का माहौल होगा। 56 साल पहले नर्मदा जिले के केवादिया में सरदार सरोवर बांध की आधारशिला रखी गई थी। जिसे नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण ने 17 जून को सरदार सरोवर बांध के कई दरवाजे बंद कर दिये थे।
आपको बता दें कि, सरदार सरोवर बांध की भंडारण क्षमता 12.7 लाख क्यूबिक मीटर से बढ़कर 47.3 लाख क्यूबिक मीटर हो गई है। जिससे सरदार सरोवर बांध के 30 गेट खुलते ही, मध्य प्रदेश के अलीराजपुर, बड़वानी, धार, खारगोन जिलों के 192 गांवों, धर्मपुरी, महाराष्ट्र के 33 और गुजरात के 19 गांव इतिहास का हिस्सा बन जाएंगे।
प्रख्यात समाजसेवी मेधा पाटकर इस मामले में सीधे प्रधानमंत्री को कठघरे में खड़ा करते हुए कहती है, बांध के लोकापर्ण का जश्न फर्जी साबित होने वाला है। गुजरात के किसानों को कम से कम लेकिन कॉरपोरेट को अनुबंधों के साथ कोका-कोला को नैनो को पानी तत्काल देने की तैयारी हो गई है। हमारे फील्ड सर्वे के हिसाब से 40,000 परिवार प्रभावित है। जिसमें से 16,000 परिवार को डूब के बाहर बताने का प्रयास किया लेकिन दरवाजे पर पानी आ गया, 139 मीटर में पानी भरना बाकी है।
आंदोलनकारियों को लगता है कि पुनर्वास में भ्रष्टाचार भी है सियासत भी। पाटकर ने कहा शिवराज सिंह 900 करोड़ का पैकेज दे रहे है, केंद्र भी पैकेज दे रहा है लेकिन क्यों? जब 2015 में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कागजात में उन्होंने बताया है कि इन जिलों में जीरो बैलेंस है। अनिल माधव दवे ने सरदार सरोवर को मंजूरी नहीं दी थी।