रामगोपाल ने चिठ्ठी में लिखा था कि अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर आगे नहीं करना अखिलेश को कमजोर करना होगा और ऐसा करना पार्टी के लिए बड़ा नुकसानदायक साबित हो सकता है। रामगोपाल यादव ने अपने पत्र में आगे लिखा कि 403 सदस्यों वाली यूपी विधान सभा में अगर पार्टी ने 100 सीट से भी कम पर जीत हासिल की तो इसके लिए नेताजी सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे।
इस बीच शिवपाल सिंह यादव ने रविवार को साफ किया कि अगर विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की जीत होती है तो अखिलेश यादव ही मुख्यमंत्री बनेंगे। दरअसल, यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच सत्ता और शक्ति की लड़ाई है। शिवपाल मुलायम सिंह के काफी नजदीक हैं। पिछले दिनों उन्होंने डॉन मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का विलय समाजवादी पार्टी में कराया था लेकिन यह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पसंद नहीं आया। उन्होंने तुरंत इसके खिलाफ पार्टी में कड़ा विरोध जताया और विलय को खारिज कर दिया गया। कुछ दिनों बाद अखिलेश को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से हटाकर शिवपाल सिंह यादव को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। इसके बाद सीएम अखिलेश यादव ने शिवपाल सिंह यादव के महत्वपूर्ण मंत्रालय वापस ले लिए थे और उनके करीबी मंत्री गायत्री प्रजापति को बर्खास्त कर दिया था।