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हालांकि लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव ने पहले से घोषणा की हैं कि वो उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार में जाएंगे लेकिन पार्टी में विभाजन की परिस्थिति में ये तय माना जा रहा है कि लालू अखिलेश का साथ नहीं छोड़ेंगे। इसके पीछे ये तर्क दिया जा रहा है कि लालू यादव के दामाद तेज प्रताप यादव अखिलेश यादव के नजदीकियों में से एक हैं।
लालू यादव ने इसके पहले भी सुलह समझौते की एक पहल की थी लेकिन उसके अगले ही दिन पार्टी दो फाड़ में बंट गई थी और लालू यादव ने उसके बाद पार्टी और परिवार की इस कलह से खुद को अलग कर लिया था, लेकिन लालू यादव के मंगलवार के अखिलेश यादव के स्टैंड के बारे में सार्वजनिक घोषणा के बाद ये माना जा रहा है कि मुलायम सिंह यादव को फ़िलहाल पार्टी अध्यक्ष का ताज उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव सम्पन्न होने तक नहीं मिलने वाला।
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