बेंगलुरु। मैसूर के महारज यदुवीर कृष्णदत्त चामराज वडियार सोमवार को राजस्थान के डूंगरपुर की राजकुमारी त्रिशिका कुमारी सिंह के साथ परिणय सूत्र में बंध गए। देश-विदेश के कई राजघराने इस शाही शादी में शामिल हुए। करीब 40 साल बाद मैसूर के राजमहल में शादी की शहनाई बजी, इससे पहले अम्बा विलास राजमहल मे दिवंगत महाराज श्रीकांतदत्त नरसिम्हराज वडियार ने 1976 में प्रमोदा देवी से शादी की थी।
दिवंगत महाराज श्रीकांतदत्त नरसिम्हराज वाडियार और रानी प्रमोदा देवी की अपनी कोई संतान नहीं थी। इसलिए रानी प्रमोदा देवी ने अपने पति की बड़ी बहन के बेटे यदुवीर को गोद लिया और वाडियार राजघराने का वारिस बना दिया। यह पहली बार नहीं हुआ जब वाडियर राजघराने में दत्तक पुत्र को राजा बनाया गया हो। पिछले 4 सौ सालों से इस राजघराने में राजा-रानी को बेटा नहीं हुआ। यानी राज परंपरा आगे बढ़ाने के लिए राजा-रानी 4 सौ सालों से परिवार के किसी दूसरे सदस्य के पुत्र को गोद लेते आए हैं।
































































