नीतीश ने माना कि इस मुद्दे पर तैयारी के अभाव में लोगों को परेशानियों का सामना करना पर रहा है। अलग-अलग मुद्दे पर अपने स्टैंड की चर्चा करते हुए नीतीश ने बताया कि यूपीए के शासनकाल में जब जीएसटी लाया गया था तब भाजपा के साथ रहने और उस मुद्दे पर उनके विरोध के बावजूद उन्होंने समर्थन किया था, लेकिन इसका मतलब उन्होंने कांग्रेस का समर्थन नहीं किया। वैसे ही राष्ट्रपति चुनाव के दौरान उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी को भी समर्थन दिया था।
नीतीश ने मीडिया पर व्यंग्य करते हुए कहा कि राजनीतिक सवालों पर मेरी राय की लोग अपने मन के मुताबिक व्याख्या करते हैं और मेरे राजनीतिक जीवन को खत्म करने का प्रयास किया जाता है।
इस बैठक में नीतीश ने भाजपा पर पूरे देश में उन्मादी और संघीय ढांचे पर प्रहार करने का भी आरोप लगाया। नीतीश ने सोमवार को बिहार विधानपरिषद में भाजपा सदस्यों द्वारा कुछ आपत्तिजनक नारे लगाने की भी चर्चा करते हुए कहा कि जो मामले राज्य से जुड़े नहीं हैं उन्हें उठाना अनैतिक और राजनीतिक मर्यादा के विपरीत हैं। इस मुद्दे पर राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव ने नीतीश कुमार से बातचीत भी की थी और इस बात की शिकायत की थी कि उन्हें मालूम चला है कि सदन में जनता दल यूनाइटेड के पार्षद मूक दर्शक बने रहे।