दरअसल, पटना के गांधी मैदान में एक पुस्तक मेले का उद्घाटन करने खुद सूबे के मुखिया नीतीश कुमार पहुंचे थे। जो कि 4 फरवरी से शुरू होकर 14 फरवरी तक चलेगा। पुस्तक मेले को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि अब बिहार पुस्तक मेले को अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप दिया जाना चाहिए। इस पुस्तक मेले में कुल आठ सौ से ज्यादा प्रकाशक हिस्सा ले रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह 23वां पुस्तक मेला है और इसका 1985 से आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार वही प्रदेश है जिसे लोगों ने प्रकाश पर्व और कालचक्र पूजा के दौरान देखा। नीतिश ने कहा कि बिहार में ऐसे आयोजन बिना किसी राजनीतिक स्वार्थ के किए जाते हैं।
नीतीश कुमार ने कहा कि प्रकाश पर्व के दौरान हमने जो किया वो हमारा धर्म और कर्तव्य था। बिहार वासियों ने भी प्रकाश पर्व के दौरान सराहनीय अनुशासन दिखाया। अप्रैल महीने से गांधी जी के याद में चम्पारण सत्याग्रह समारोह का शताब्दी समारोह मनाया जाएगा। मेरा उद्देश्य है कि गांधी जी के सिद्धान्तों को घर-घर तक पहुंचाया जाए। मुख्यमंत्री ने शिक्षा की गुवणत्ता को लेकर चिन्ता जाहिर करते हुए कहा कि यह सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। इस बार भी बोर्ड की परीक्षा में सख्ती बरती जाएगी अगर शिक्षक भी गलती करेंगे तो उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।