मिट्टी घोटाले को लेकर बिहार की राजनीति गर्म है. राजद सुप्रीमो लालू यादव जहां इस मामले पर सफाई दे चुके हैं वहीं भाजपा नेता सुशील मोदी लगातार हमले कर रहे हैं. पर इन सबके बीच नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू ने मिट्टी घोटाले से घिरे लालू प्रसाद को मंझधार में अकेले छोड़ दिया है. आखिर वजह क्याम है इसकेे पीछे? सियासी गलियारे में चर्चा जोर है कि आखिर महागठबंधन में लालू के रहते हुए ऐसा क्यों हो रहा है.
पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के सिलसिलेवार आरोप के बाद रविवार को लालू प्रसाद ने सफाई दी. उन्होंने कहा, ‘पूरे मामले में उन्हें और उनके परिवार को सिर्फ फ्रेम किया जा रहा है. इसमें किसी तरह की कोई सच्चाई नहीं है.’ हर छोटे-छोटे मुद्दे पर बयानबाजी करने वाले जदयू के प्रवक्ता इस मामले में कुछ भी नहीं बोल रहे हैं. इसके पीछे 3 मुख्य वजह बताई जा रही है.
नीतीश की क्लिन इमेज
मु्ख्यमंत्री नीतीश कुमार एक साफ छवि के नेता माने जाते हैं. बिहार की जनता ने उनकी इसी छवि के कारण ही उन्हें तीसरी बार राज्य की सत्ता सौंपी है. नीतीश कुमार खुद और उनकी पार्टी पूरे मामले में नहीं फंसना चाहती है. उनका मानना है कि समर्थन करने का सीधा मतलब है कि आप गलत काम के साथ हैं.( अगर साबित होता है तो) .जदयू का मानना है कि यह बीजेपी और राजद का मामला है.
लालू को प्रेशर में रखने की टैक्टिस
राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा आम है कि महगठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है. नोटबंदी, यूपी चुनाव और विधान परिषद चुनाव से लेकर तमाम मुद्दों पर जदयू और राजद में अलगाव दिखा है. अब लालू प्रसाद के मिट्टी घोटाले में फंसने के बाद जदयू एक बार फिर प्रेशर पॉलिक्टस खेल रही है ताकि लालू को कंट्रोल में रखा जा सके.
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