तीन नवंबर को अखिलेश यादव रथयात्रा लेकर निकलने वाले हैं। इसके बाद, पांच नवंबर को पार्टी का रजत जयंती समारोह है। सूत्रों के मुताबिक, मुलायम नहीं चाहते कि विवाद का असर इन दोनों ही कार्यक्रमों पर हो। ऐसे में उन्होंने रास्ता निकालने की यह कोशिश की है। मुलायम ने सोमवार रात अखिलेश और शिवपाल, दोनों को ही अपने घर पर बातचीत के लिए बुलाया था। सूत्रों के मुताबिक, लंबी बातचीत के बाद बर्खास्त मंत्रियों को वापस लेने पर अखिलेश ने रजामंदी दे दी।
हालांकि, मामला पूरी तरह भी नहीं सुलझा है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अखिलेश दोबारा से चाचा शिवपाल को मंत्री बनाने के तो इच्छुक हैं, लेकिन कुछ अहम विभाग उनको नहीं सौंपना चाहते। इसके अलावा, वे यह भी नहीं चाहते कि टिकट बांटने का अधिकार शिवपाल के पास हो। अखिलेश का कहना है कि चूंकि चुनाव उनके चेहरे को आगे करके लड़ा जाना है, इसलिए टिकट बांटने का हक भी उनके पास ही होना चाहिए। अखिलेश चाहते हैं कि शिवपाल पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी न रहें।